________________
आणंद-सावय-संधि
नं अप्पिय' ऊखल-लंगलाई
जं मज्जू य वयरई कयाई सामाइ जं किउ साइयारु जं खंडिउ देसवगास-चारु जं पन्व-दिवसि पोसहु न किद्ध जं संविभागु अतिथिहिं न दिद्ध तं निंदउँ गरिहउ तिविह तिविहु मिच्छक्कड्ड पुणु पुणु होउ सु बहु १२
घत्ता हिंडंतह भवि भवि आसंसारु वि खंडिउ जं च विराहियउ तसु होउ' समुभडु मिच्छा दुक्कड्डु गुरु-समक्खु तं गरिहियउ ॥१३
जं गोय-नट्ट-पिक्खणय-सार। कय देव-प्य अट्ठ-प्पयार जं सेविउ गुरुजण भत्ति-पुव्वु किउ वंदण-पडिक्कमणाइ सन्धु २ विहि-पुव्वु विहिय जं तित्थ-जत्त आराहिय सत्तिहि सत्त खित्त । जं भत्तिहिं दिन्नउ मुणिहिं दाणु जं पालिउ सीलु वि गुण-निहाणु जं बार-भेउ तव-चरणु चरिउ, जं भाविय भावण झाणु धरिउ जं पढिउ गुणिउ सिद्धत-तत्त
आराहिउ दंसणु मनु चरित्तु ६ जं धम्म-कज्जि उवयरिउ एहु मम संतिउ धणु मणु वयणु देहु इह-जम्मि अन्न-जम्मह पवंचि अणुमोइउ जं किउ सुकय किंचि ८
पत्ता निय-कुल-नह-चंदू इय आणंदू अणुमोएविणु सुकिय सवि सुह-झाणह कारणि भवह निवारणि भावण भावइ बारस वि ॥९
[८] भावण भावंतह सुद्ध-भावि खणि खणि मुच्चंतह पुन्व-पावि संथारि निसन्नह मह-पमाणु उप्पन्नु तासु अह ओहि-नाणु २ इत्थंतरि विहरंतु नयर-गामि तहिं समवसरिउ सिरि-वीर-सामि गोयरचरि गोयमु तहिं फिरंतु "कुइ पूछइ पिक्खवि जणु मिलंतु ४ सो कहइ इत्थ मणसणि पवन्नु आणंदु उवासउ11 अत्थि धन्नु तं सुणिवि जाइ तहिं इंदभृइ तसु सुक्ख-तवह "पुच्छइ सरुइ ६
1. A अप्पिउ 2. B जुयइ 3. B °इय किद्धउ सा 4. B जं न खडिउ 5. B गरि6. A हिडतइ 7. Bहउ8. B किउ 9. B समोसरिंउ I0. B कोड I1. B वि साबउ 12. A पुच्छा सरवु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org