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आणंद-सावय-संधि
आरंभु विवण्जइ अट्ठ मास अन्न वि न करावह नव वि मास जं उदिसीउ तसु रेसि रद्ध दस मास न जोमइ तमवि सुद्ध एगारस मासा समणभूउ 'लिइ ओघउ मुहपति करह लोउ मह समणोपासग भिक्स देउ । निय-गोउलि विहरइ सो अखेउ एगारस पडिमा इम वहेउ संलेहण करिविणु दुविह-मेड तव-चरणि अद्वि-चम्मावसेसु निसि सुत्त तणह संथारएसु चितेइ धम्म-जागरिय रत्ति __ ना अज्ज वि अच्छइ देह-सत्ति जयवंतु धम्म-आयरिउ जाम अणसणु करेसु हउं इत्थ ताम
घत्ता सिद्धतह जुत्तिहिं सत्तहिं खित्तिहिं वित्त-बीउ वावेवि घणु अट्ठाहिय कारिय संघ हकारिय' देव-प्य-वंदण-करणु
॥१५
सुगुरूण वास सीसिहिं गहेउ सुमरेवि पंच-परमेट्ठि देउ उस्सग्ग-पुव्व सो सोहि लेइ सम्मत्तमाइ वय उच्चरेह ता उत्तमदिठ सो ठाइ ठाणु वोसिरइ अठारस पाव-ठाणु चत्तारि सरण मंगल उतिम्म' अरहंत सिद्ध साहू य धम्म हिंसा अलीय' अणदिन्न दाणु मेहुण परिंग्गह कोह माणु माया य लोभ पिज्जं च दोस कलहो वि अभक्खाणं सरोस भरईरई य पेसुन्न-जुत्तु "परिवाय माय-मोसं मिच्छत्त ए तिविह तिविह मण-वयण-काय कय-कारणाणुमह" पच्चखाय अरहंत सिद्ध साहू य सक्खि देवाण सक्खि अप्पाण सविस्व जं रयण-करंडग-भूउ एहु . वोसिरसु" चरम-ऊसासि देहु. उवसग्ग" देव-माणुस-पसूण जे हुंति सहिसु ते सवि अणूण आहार-उवहि दुञ्चिन्न-कम्म ते वोसिरामि सवि जाव-जम्मु १२
पत्ता आहारु चउव्विहु चइविणु सो वि हु गुरु-मुहेण गहियाण सणु छज्जीव स्वमावइ भावण भावइ तण-संथारि"निसन्न-तणु ॥१३
1. A लिउ उघउ मुहती 2. A सित्तह 3. A कारिउ 4. A करिउ 5. A लेउ 6. A माण 7. B सुरम्म 8. A साहू सुधम्म 9. A आलीउ 10. B परवाय' 11. A पचखाइ 12. A वोसिरउ 13. A दिव्व 14. A .थार पंवन तण :
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