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________________ ६० इय दसहिं नियंसणि माणुसत्तु लद्धम्मि तम्मि सुकुलम्मि जम्मु तत्थ वि य दुलड्डु पंविदियत्त निव्वणु सर्ररु पडिपुन्न आउ इय गुणह परंपर कारणि िवराडिय संधिकाव्य-समुच्चय 2 5 इय दुलहइ लइ माणुसत्ति जणवइ अणञ्ज जहि बहुय अतिथ संग-जवण - 'लउस - बब्बरय-डुड्ड' अरबाग होण-खस - कासियाइ दुम्मिल्ल-दमिल - भिल्लंघ- भमर केकइय- कुंव- मालव- रुया य गय-कन्ना खर-मुह तुरग वयण अन्ने विमिच्छ बहु-पाव रुद्द जोव-वह-रत्त मंसासियाण सुमिणे वि कन्नि धम्मक्राण अह कह वि कम्मि खाओवसम्मि तत्थ वि पमत्तु तारुन्न-वे से तसु सल्लइ बहु उरि काम-कील पुरि चच्चरि देउलि पयइ-रत वच्छायण-लीलावइ कहाहिं - अब्भासह गाइ-दोहा-मुहाई अद्धच्छ-निरखण चाडुयाई Jain Education International घत्ता लद्धिय सुंदर मोहि भमाडिय पुन्नेहिं जीव पई कह विपत्त जहिं मुणियइ जिणवर - भणिय- घम्मु २४ रोगेहिं विवज्जिर देह पत्त पुन्नेण होइ तह धम्म-भाउ उज्ज करि जिय धम्मु लहु लद्धिय हारि म कोडि तुहुं ॥२७ [२] नवि बुद्धि होइ जोवाण तत्ति जहिं धम्म-सन्न कावि हुन अत्थि पक्कणिय - कए सुररोह (?) -गुड्ड रोमय - पुलिंद - पारस - किलाइ बुक्कस- चिलाय कुलखाइ सबर कुंचा य चीण तह चंचुया' य मिंढग - मुद्दा य आरत- नयण निग्विण पयंड साहसिय खुद्द कित्तिय भणामि तहऽगारियाण न पवेसइ सहुं समइ ताहं उपज जिउ जणि आरिअम्मि उम्मतु भमइ विसयाहं रेसि पर-दार-रत्तु न गणेइ सीलु तसु नयण वयण अवलोइयंतु सिंगार - रसिय ते तसु मुहाहिं कामग्गितेय-संधुवणाई वोयारइ पर जण - वल्लहाई २६ For Private & Personal Use Only २ ६ छ-हु दास - विशसि गमइ कालु अह वल्लह माणुस - विरहु ह इ नहु मुणइ एहु सह इंदियालु ता दिवस स्यणि झुग्इ विओइ 1. लउस्स 2. बचरईहुड्ड 3. एक्क• 4. कासिवाइ 5. भगर 6. सधर 7. चंचुया ८ १० १२ १४ १६ १८ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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