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rt वीरदासु पुच्छइ मुणिंदु पुव्विल्ल जम्मि जं दुक्ख जुत्त ert कहइ मुणीसरु 'नम्म्याइ " अहिठायग देवय आसि एह पडिमा पडिवन्नह मुणिवरस्स " एए नइ - न्हाणह निंदग" त्ति पच्छाणुकूल थी- रूव-पमुह अक्खुडि स्वमावइ सावि साहु सा देवि चविवि सहदेव - धूअ पडिकू लिहि तसु हुउ पह-विओगु इय निअ भवु निसुणिवि भव-विरत्त इक्कार संग घर - गणहरेण फुड अवहि-नाण- जु* सह मुणिदि कउ तीइ महेसरु निव्त्रियप्पु ' जाणिज्जइ सत्थ- पमाणि सव्वु मई दुट्ठि निकिट्ठि सु-सील चत्त नम्मयमुवलक्खिवि चरणु लेइ आराहिवि अणमणु सग्गि जंति
कल्लाणह कुलहर अन्मत्थणि संघह
संधिकाव्य-समुच्चय
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'किं नम्म्याइ किउ कम्म-बिंदु' पइ-चत्त जिअंती कह विपत्त' एयाइ विंझगिरि-निग्गयाइ पुव्विल्ल जम्मि मिच्छत्त-गेह एगस्स नई- तडि निसि ठिअस्स पढमं पडिक्लसग्ग-गत्ति कय खोभ हेउ देवीइ दुसह मुणि कहि धम्मितसुं बोहि-लाहु २० हुउ नमया-सुंदरि गुणिहिं गरुय अणुकूलि सील - खोहण-पभोगु' चारित्त लेइ नम्मय पवित्त सा ठेविय महत्तर-पदि कमेण विहरंत पत्त पुरि कूववंदि सर-लक्खणेण निंदेइ अप्पु तउ नमया जाणिउ पुरिस-रूवु कंता तसु पावह दिक्ख जुत्त' रिसिदत्त-सहि सो तवु तवेइ तिन्निवि अणुत्र सुहु अणुवंति ३०
घन्ता
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सरि वि सील जुन्हा जीसे सुकयामएण तिअ-लोअ सिंचाइ बीईंदु-कलत्र नम्मया जयइ म कलंका ॥३२ तेरस-सय अडवांसे वरिसे सिरि-जण पहु-पसाएण एसा संधी विडिया जिनिंद-वयणाणुसारेणं ॥ ३३
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होअउ जय-कर नमयासुंदरि - संधि वर रइअ' अणग्घह पढत- सुणतह उदय-कर ॥ ३१
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1. बिंदु 2. नम्माई 3. गति 4. जून 5. कूविचंदि 6. अणुसणु 7. रईअ 8 सिरिया अंतः श्री नर्मदा सुंदरी महासती संधि समाप्ता ॥
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