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________________ इय' अ-चलती बहुद्दा ताडइ कुण सई परमिलिहि मरणं जाणिउ सुद्धि नरिदु निवेसइ वितइ 'मज्झ सील नहु भंजइ वेसा - गिह- निग्गमु सुंदरु मणि आरोहिवि पह तडि उग्घडियह कदमि तणु लिंगण- मिसिनिअ - हिअ समयणिहिं (1) पत्तई किर फाडइ लेखइ धूलि भुअंग-त्तासणि सार मुणिवि निवु गुणिआ पेसइ पाहण-लंखणि ते वित्तामइ इय गहिली जागिय निव-पमुहिहिं लोइहिं नया सुंदर-संधि सदि मुट्ठि पुण सत्त न पाडइ तसु पभावि हुइ हरिणी-मरणं तसु पदि नमया कारणि मन्नइ इंदु वि' अह निवु तर्हि हक्कारइ जाणिवि निव - पेसिअ सुक्खा सणि जंती पडइ मृज्झि सा स्खालह गहिअ सील- रक्खणि सन्नाहिअ वत्थमिसिण सा पमुइअ हिभडइ नैच्च गायइ सती- सिरोमणि मित्तह जिणदेवह कहs भरुअच्छह गच्छइ निय-पुरम्मि दिट्ठा 'नच्चंती विगल-रूव सा भणइ 'कहिसु वण- चे अम्मि' सो बुद्धि देइ सा घरइ चित्ति घय-वणि कुणइ निव-पासि राव 'ए करइ उवदवु घणउ देसि नरनाह - वयणु मन्नेवि नियलि भरुयछि वंदाविवि देव नीअ रोअंत कहइ तंतु सयल नमया - पुरिअ दस- पुव्व-धारि वंदइ सहदेषु कुटुंब - कलिउ Jain Education International घत्ता 8 ५७ ३० For Private & Personal Use Only ३२ ३४ # ३६ कलिय "बुद्धि पाणिअ सोल-सकल डिभिहिं मुक्क अमोहिहि भमइ थुगइ जिणु अक्खलिय ॥ ३९ ३८ [४] नम्मय वइअरु त विवइ भारु जिणदेव पत्तु अह कूलि तम्भि जिणदेवि पुठु 'तरं किं सरूव' अन्नोन्न कहिउ वइअरु वणम्मि अह घय- घड फोडइ गहिलिभ त्ति जिणदेवह कइइ नरिंदु ताव पवहणि आरोहिवि लइ विदेसि ' बंधिवि चडावि पवइणि विसालि जिणदेवि नमय पिअ-हरि विणीअ पियरिहिं पुरि उच्छवु विहिउ अतुल १० सिरि- अज्ज - सुहत्थि संपत्त सूरि निसुणेवि धम्मु नमयाइ सहिउ ६ १२ 1. ईय 2. ० मिसिणि 3. पमुई 4 बुद्धि० 5. अमोहिंहिं 6. ० वईअरु 7. नच्चंति 8. ई अरु ८ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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