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संधिकाव्य-समुञ्चय
प्रवहण प्रति दीणार-सहस्सू निव-पसाइं सा लहइ अवस्सू दासि भणइ ‘तुम्हि सामिणि वंछइ' वीरु 'सील-निहि तहिं नहि गच्छइ ४ तेत्तिउ धणु पेसइ तसु हस्थिहि हरिणि भणइ 'अम्ह काजु न अस्थिहिं वीरदासु एती कल(?) आणि ' भणिति-भंगि तिणि आणिउ प्राणि ६ खोभिउ हाव-भाव विन्नाणिहि न चलिउ जिम सुर-गिरि बहु-पवणिहिं वीरु स-दार-तुळु तिणि जाणिउ कवडिहिं हरिणी सो वक्खाणिउ ८ वेसं दासि भणइ एगंते 'नारि ज दिट्ठा सिट्ठि-गिहंते भयणि* सुआ वा निरुवम-रूवा सा जइ वेस तु हुई वसि देवा' १० इअ मंतिवि तिणि मुद्दा-रयणू। मग्गिउ अप्पिउ सिटिठ-पहाणू
पडिछंदा-दसणमिसि पेसिअ मुद्दा नमया(य) दंसिअ दासिअ १२ 'तेडइ तुम्हि एवड-अहिनाणिहिं वीरदासु आवउ अम्ह भुवणिहिं' नाम-मुद्द पिक्खिवि चितिवि बहु सह दासिहिं नमया आविअ लहु १४ हरिणी-गिह-पच्छलि भूमी-हरि पुव-सिक्ख तिणि घल्लिअ निटुरि मुद्दा दासिहि अप्पिअ वीरह नमया दोसु देइ दुक्कम्मह १६ उठ्ठिउ सिटिठ जाइ निय-मंदिरि ता नहु पिच्छइ नमया-सुदरि घरि बाहिरि पुरि न ल]हइ सुद्धि भरुयच्छि गउ कय-बुद्धि स-रिद्धि १८ कढिय भूमि-गिहाउ महासइ । जाणिउ वीरु गयउ अह दंसह सयल-रिद्धि 'एअह तई सामिणि करउं होसि जइ वेसा भामिणि २० सग्गु एहु ता [मिल्हि असग्गहु' हरिणि-वयणु निसुणिवि नमया लहु वज्ज-हय व्व भणेइ महासइ 'मह जीवंतिअ' सीजु न नस्सइ २२ सीलु सयल-दुक्ख-क्खय-कारणु सीलु सिद्धि-सुर-लच्छिहि कम्मणु नरय-नयर-गोपुरु वेसत्तणु
उत्तम-निदिअ तसु किं वन्नणु' २४ तं निसुणिवि तज्जइ निब्भच्छइ हरिणी कणइर-कंबिहि कुट्टइ जइ जल-निहि मज्जाया मिल्हइ तह वि न नम्मय सीलह चल्लइ २६ जाइ धरणि-तलु जइ पायालह तुहिउ पडइ गयणु जइ मूलह तिमिरु तरणि जइ ससि विसु वरिसइ तह वि न नम्मय -सीलु विणस्सइ २८ ____1 सीलु° 2. तत्तिउ 3. वस 4. सूआ 5. पडच्छंद। 6. वीरुदासु 7. जीवंती 8. निंदीअ 9. नमय
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