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मयणरेहा-संधि
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तसु देवि पुप्फमालाभिहाण सो हुउ कमेण य पवर-राउ विवरीय-सिक्ख-तुरएण हरिउ पिक्खेविणु तुह सुउ अइ-सुचंगु
अंतेउरीण गुण-गण-पहाण बीओ वि चविउ तुह पुत्तु जाउ सो राउ फिरइ अङवीइ तुरिउ नेयइ निय-नयरिं हरिसियंगु
घत्ता
इय कय-वद्धावणु तोसिय-पुरजणु नमिय नराहिव सयल जसु निरुवम-गुण-गामू नमि किय नामू वद्धइ वद्धिय-विमल-जसु ॥१७
[४] . इत्थंतरि सम्गह वर-विमाणु तमु मज्झि देउ इंदह समाणु अवयरिउ विमल-गुण-गणह गेह ति-पयाहिणि पणमिय मयणरेह २ अह पच्छा वदइ मुणिवरिंदु तउ चित्ति चमक्किउ खेयरिंदु सदेहावणयणु तियसि किउ . निय-चरिउ कहिउ अक्खेवणीउ तउ तोसिउ भावइ खयरराउ बपु वपु रि अहो धम्मह पभाउ जीवहं ताव चिय होइ दुक्खु जावह न लद्ध जिण-धम्म-लक्खु धम्मगुरु भणिय तियसेण वुत्त किमहं करेमि आगम-निउत्त तउ एउ मयणरेहाइ वुत्तु
मिहिलापुरीइ मह दंसि पुत्तु तहिं वदिय विहिणा तित्थसार अनु गुरुणी पणमिय सोवयार तद्देसण-सवणिहिं गय-सिणेह पव्वज्ज पव्वज्जइ मयणरेह कय-सुव्वय-नामा तवु तवेइ सो सुरु सकप्पि सुहु अणुहवेइ अह पिउणा नमि परिणावियाउ अट्ठोत्तरु सहसु सुबालियाउ अह रम्ना जाणि विभव असारु निय-पइ पइठाविउ नमि-कुमारू अप्पणि वउ पालिउ निरइयारु केवल-सिरि-सोहिउ सिद्ध-सारु अह नमी नराहिवु इउ पयंडु तसु हत्थि-रयणु आलाण-वंडु पाडेविणु बहु पडिकार-वरंगु गुरु-वेगि सुदसणपुरि विलग्गु
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सुचंदजसि नराहिवि तउ नमि तसु कारणि
घत्ता बहुविहि वाहिवि बहु-परिवारि णि
वसि किउ निसंकि उ धरिउ जाइउ पुर रोहइ तुरिउ ॥१७
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