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मधिकाव्य-समुच्चय
तउ भणियउ खयरु महासईइ मह पुत्तु उप-नु महाडबीइ सो तन्ह-छुहाए पाण-चाउ मा कुणउ तमाणह काणणाउ ४ महिलाहिव पउमरहेण नीउ निय-भवणि वधारइ सुउ भणीउ पन्नत्ति-विज्ज मह कहिउ एउ ना सुयणु म काहिसि चित्त-खेउ ६ अनु सुणि वेयड्ढे खयर-राउ मणिचूडु सुसेविय-वीयराउ निय-पुत्तु पइट्ठिउ नियय-रज्जि सो अप्पणि लग्गउ परम-कज्जि ८ सो भयवं पच्छिम-वासरम्मि पत्तउ नंदीसर-तिथि रम्मि तसु सुउ हुं मणिपह-नामधेउ ता मई पइ मन्नसु तुहु अखेउ १० तो भणइ महासइ गुणकरम्मि वंदावि देव नदीसरम्मि तउ तिणि संतोसिहिं तत्थ नीय वंदइ चेईहर सुय-विणीय १२ ता वदिय दोहि वि सुगुरुराउ गुरु-देसणि नट्ठउ दुट्ठ-भाउ तो नमइ खयरु भइणी भणित्तु त खमह महासइ मइ जु वुत्तु . १४
पत्ता अह तत्थ महास हूयह संसइ पुच्छइ निय-पुत्तह चरिउ तीसे मणु तोसइ मुणिपहु भासइ . सुणि निय-मणु निच्चलु धरिउ ॥१५
पुक्खलवइ-विजय विदेहवासि चक्कीसर अमियजसस्स पुत्तु तो दुन्नि वि चुलसी-पुव्व-लक्ख चारण-मुणि-गाहिय दुविह-सिक्ख । तो अच्चुय-इंद समाण देव तउ चविओ धायइखंड-खित्ति हरिसेण हरिहि सुय परममाण अनु सागरदत्तु ति बे वि दक्ख विज्जू-निवाय तइए दिणम्मि सत्तरस अयराउय तत्थ ठीय तहं पढमु चविउ मिहिलापुरीइ जयसेण-राय-वणमाल-पुत्तु
मणितोरण-पुरु वेयड्ढि आसि पुप्फसिहो रयणसिहो य वुत्त काऊण रज्जु भव-तरण-दक्ख कय-संजम सोलस-पुत्व-लक्ख उप्पन्ना पुन्निहिं निरवलेब जिणराय-पाय-पंकय-पवित्ति इगु सागरदेव भिहाणु ताण दढ-सुव्वय जिणवर-दिन्न-दिक्ख महसुक्कि उप्पन्ना सुह-निहिम्मि सुर-सुक्खु अणोवमु अणुहवीय मल्ली-नमि-जम्मि सुहंकरीइ उप्पन्नउ पउमरहु त्ति वुत्तु
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