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________________ अवंतिसुकुमाल-संधि [९]] पुणु भणसु सामि सा कत्थ अस्थि वंदामि वीरु' जिव मत्त हत्थि गुरु दिन्नु "दिव्व-पुवोवओगु परिकहइ किं पि निक्कंप-जोगु तो सत्थवाहि बहु-सत्थ-सहिय नव-साहु-पाय-पूयाए चलिय जोएइ जाव ति मसाण-देस गुरु-सोग-वेग-वढिय-किलेस ता स-सुव भसुय सो अद्ध-खद्ध कथारि-कुडं मज्झि लद्ध अह रुयइ तार-पोक्कार-फार । परिवार जुत्त बहु-बाह-धार हा वच्छ वच्छ-वच्छल छइल्ल पई कियउ किमेरिसु गुणि पहिल्ल हउ जेव पडिय एरिसि अणस्थि संसारि नारि तिव अन्न नस्थि हा हियय-सच्छ सुचरित्त-सूर मह पाडियऽवट्ट कयंत कूर मई सव्वहा वि वहुयाहिं अहव किउ अविणउ कोइ न तुज्झु कहव १० पत्ता इय गुण समरेविणु चिरु रोएविणु पुज्जइ पुज्जिय-पुव्वु पुणु कालागुरु-चंदणि तित्थु जि सा वणि सक्कारावइ साहु-तणु ॥११ सत्थवाहि वहुयाहिं समन्निय सिप्प-महानइ-तीरि पवन्निय नयण-नीरु नीरंधु निरग्गलु जिव तिव तासु देइ अंजलि-जलु २ सुय-विओग-सोगग्गि-पलित्तिय स-घरि खलंत पडती पत्तिय गुरु-अक्कंद-सद्द-सम्मद्दिण भवणु भरंति व भणिय सुहत्थिण ४ धम्मसीलि सीलेसि किमग्गलु सोग-वेगु सविवेग अमंगलु मुयउ कोइ किं जीवइ सोगिण अरु तणु-पीड पवज्जइ रोगिण धम्मु रम्मु भव-वाहि-महोसहु तह 'सुमंतु सोगाइ-कुदोसहु बि-हर-दिक्खधम्मि तुह जायउ नलिणि-विमाणि देउ सो जायउ ८ घत्ता इय एज सुणंती भवहि विरत्ती ___ सत्थवाहि सुपसत्थ-मइ वहुयाहिं समन्निय घरि निव्वन्निय दिक्ख लेइ अचिरेण सइ ।।९ 1. L धीरु 2. L दिन्नु तत्थ पुब्यो० 3. L केमेरिसु गुण ५० 4 L पुत्तु 5. P तीरु 6. P पलत्तिय 7. L समत्थु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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