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________________ संधिकाव्य-समुच्चय विहिओवऔगु जा नियइ नाणि निसि अद्ध-खद्ध 'सूया-सियालि कत्थूरी-कुकुम-कुसुम-कमलआवेविणु नियय-सरीर-उवार जा तरल-सुतिक्ख-कडक्ख-लक्ख थिर-थोर-थणत्थल-वित्थराहिं वर-पारियाय-मंजरि-जुएहिं पंचप्पयार खभोग भोग ता निय-सरीरु पेक्खइ मसाणि कथारि-कुडगहि अतरालि २ संवलिय वारि वरिसेइ विमल पुणु तहिं जि जाइ निय ठावि पवरि ४ वियसिय-सिरीस-सुकुमार दक्ख तहिं रमइ ताहिं सह अच्छराहिं ६ हरियंदण-घुसिण-विलेवणेहिं उवभुंजइ भूरि अरोग-सोग घत्ता इय तासु सुचित्तहि नंदीसरि जंतर्हि विसयासत्तहिं महिम करतहिं नलिणीगम्मि विमाणि तहि वरिस असंख अइक्कमहिं ॥९ २ वासभवणि अह नयण-विसालिहिं जामिणि-जामि वि नाब न आवइ घर-अभिंतरि जोइउ जावहि कहहिं सव्वि सासुयहि रुयंतिय सत्थवाहि सयमेव निरिक्खइ मिलिउ सु महिल-सत्थु ता रोयइ सूरि सुहस्थिं ताव हक्कारिय रति-वित्तु वुत्तंतु सु वुत्तउ ४ जोयहिं मग्गु भज्ज सुकुमालिहिं ताव 'ताहं मणु जोयण धावइ दिटु न हियइ धसक्किय तावहिं न नियहुं नाहु माइ जोयंतिय घरि बाहिरि आरामि न पेक्खइ परियणु सयणु सुयणु सउ सोयइ सत्थवाहि रोयंत निवारिय सत्थवाहिं तो जंपिउ जुत्तउ ६ पत्ता सयमेव विरत्तउ . लिंगु लियंतउ करिवि लोउ सयमेव सिरि जइ तुब्भिहिं दिक्खउ किमजुत्तउ किउ इय गहि किज्जइ काइं किरि ।।९ 1. L भसुया 2. P ताहं गणु जो. 3. P धसक्किउ 4. L कहिहिं 5. L परियणु सुयशु सयउ नउ सोयउ। 6. B ग्रहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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