________________
संधिकाव्य-समुच्चय
घत्ता तउ तेण सुसारिण सहु परिवारिण अज्ज-सुहत्थि सुहत्थि-गइ भद्दा-घरि आवहि
अणुजाणावहि वसहिं सुसवुड सुद्धमइ ॥१०
[३] सत्थवाहि भद्दाहि तणुब्भवु तासु' आसि उल्लासि मणोभबु तरुण-रमणि-मण-मोहणु अंगिहिं सार तार-तारुन्न तरंगिहि कज्जल-कालु अराल सुकोमल तसु सोहम्म-महा-सरि-सेवल केस सीस-सरसीरुहि सुदर सोहहिं न भमरालि निरंतर सुह-मयक-मडलि गंडस्थल
सहहि नाइ फालिह-दप्पण-तल सुरगिरि-सिल-विसालु वच्छत्थलु रइवइ-सारिखट्ट न निम्मलु लंकिल्लउं* उरकडिहिं विसालउ जिव दंभोलि-दडु सोवालउ पाणि-पाय-पायङ-पावहिं तसु नव-वियसत-सोण-पंकय-कसु . ८
पत्ता बत्तीसइ मज्जहिं रइसुह-सज्जहिं सो कीलइ जिव देउ दिवि सत्तम-भूमी-तलि हिमगिरि-निम्मलि 'सवि इंदिय मोक्कल करिवि ॥९
[४] सिरि-सुहत्थि मुणिनाहु कयाइ वि जामिणि-जामि पढमि परिभाविवि नलिणीगुम्म-विमाणह केरउ आगमु गुणइ गुणग्गल धीरउ सो महु-महुर वाणि निसुणतउ । किन्नरु किंकरतु तसु पत्तउ तुबुरु सो वि स-कंठहि रुटूठउ" कुकुनस-झणि निसुणतउ तुट्ठउ ४ तं अवंतिसुकुमाल सुणेविणु सत्तम-भूमिभागु मिल्लेविणु आउ छटठ-भूमिहिं आणदिउ जाउ सुणतउ सवणेगिदिउ जिव जिंव झुणि सवणेहिं पइस्सइ तिव तिव तसु हियडउ' अइ वियसइ जिंव जिंव आगमत्थु परिभावइ तिव तिव उत्तरितु तलि आवइ ८
घत्ता जायउ जाईसरु
सुमरइ सुदरु नलिगीगुम्म-विमाण-सुहु नर-भोग-विरत्तउ
जाउ निरुत्तउ तं जाणइ सउ गुत्ति दुहु ।।९ 1. P तीसु 2. L सारंग-तरंगिहि 3. P सरसिरुह 4 B लंकिल्लउ 5. L विमाणिहि 6. L रुद्धउ 7. P. L. 'डउं तणु विय'
पिरतउ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org