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अणसणु आराहइ
ता सोगि सुसल्लिय
इय ते खीणाउय
अह तम्मि विमुक्कइ
संधिकाव्य-समुच्चय
तहि ठावि सुविसाल-भाउ
3
तो नमिवि रुयइ सहुं बहुय सत्थि भवणगणि पत्तु वि तुहुं न नाउ महियारी स तु कयत्थ माय कहिं हंस - तूलि - पल्लंकि सयणु कहिं कुसुम-कमल- कप्पूर-गंध कहिं तरुणि-तरंगिउ गीय-सहु सुह - पालिय- लालिय- अंगि तेव तुहु धन्नु धन्नु धन्नय सुपुन्नु' इय माइ करिवि करुण-प्पलाव पुणु मुणि ति दो वि सुर - सेल-सिंगु उवसग्ग-वग्ग-संसग्ग-मग्गि
घत्ता
परभवु साहइ
सातहि चल्लिय
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[१५]
भद्दाए दिट्टु तदवत्थ- काउ
महु सम न अन्न अकयत्थ अस्थि २ विहराविउ नमिवि न अबल-काउ विहराविउ पहि दहि जीए जाय कहि कक्कर-कंटय-टंकि पडणु कहि कुहिय-निबिड - मडय - प्पबंध * कहिं सिव-समूह-फेक्कार-सहु इय दुक्खु सहसि तुहु वच्छ केव ८ मरणति वि मुक्कु न सालि सुन्नु घरि गय पसि गुरु- दुक्ख- दाब १० जिव सुथिर धरहिं सिय-झाण-रंगु न हु लहय ल्हसहि लेसु वि निसग्गि १२
e
घत्ता
जाया अब्भुय नर-भवि ढुक्क
पाओवगम-समाहि-ठिउ नियइ जेंव तरुवरु पडिउ ।। १२
अंत P. L ॥ इति शालिभद्र - महर्षि -संधि : ॥
४
1. Lता 2. L सत्थु 3. L हंसत्तलु 4. P . पगंध 5 L गीउ भद्दु 6. L सहिसु
7. Pय पुन्नु
६
दो वि देव सव्वट्ठि वर सिज्झिस्सहिं निरु एत्थु धर ॥ १३
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