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________________ सालिभद्द संधि मासखवण-पारणइ पहुत्ता ताव सालि जपिउ परमेसरि गोचरिय घरि घरि विहरता सा पुण सुय-दसण-उत्कंठिय तुरिय तुरिय ते सव्वि पहुच्चहिं वलिय जाव पहु-पासि ति आवहिं पसरिय-पीइ-राय-रोमचिय भरिय एग-थाली उप्पाडइ जइवर सव्व-सुद्धि परिभावहिं जाइ सालि तो पुच्छइ सामिउ पहु पभणेइ जीए दहि दिन्नउ [१३] जाव जाहिं विहरणह तिगुत्ता माउ-हत्थि तुहु विहरिसि सुहकरि २ दो वि ति भद्द-घरंगणि पत्ता बहु-परिवारिय वदण चल्लिय न ति अंगणि उब्मा ओलक्खहिं पहि महियारी दिटठा तावहिं पुणु पुणु पणमिय' वाह-पवंचिय झरिय-उरोरुह दहि विहरावइ ८ हिउ गुण-सहिउ दहिउ पडिगाहहि हउ न अज्जु माइहिं विहराविउ १० गय-भव-माइ तुज्झ सा निच्छउ - घत्ता तो तसु ईहंतह मिणु पणमंतह जाइ जाईसरण-मइ अह सा कम्मारी निय-महतारी वच्छवाल अप्पउं मुणइ ।।१२ [१४] सालिभद्दि जा तक्खणि लक्खिउ निय-भवु पुव्वु तिक्ख-दुक्खंकि उ अवचिय-मेय-मस-मज्जा लहु जाणिउ-निय-सरीरु अइ-नीसहु ता दहि पारिवि माइ जु दिन्नउ । अणसणु सु कुणइ अरु मुणि धन्नउ वीर-जिणिदि बेवि अणुमन्निय तक्खणि पिउणि पत्त गुगन्निय पाओवगम-समाहिं थिरावहिं पर परमत्थि तित्थु मणु ठावहिं एत्थतरि पहु-पासि पहुत्ती सत्थवाही वहुयाहिं समिती देव-देउ वंदेविणु पुच्छइ सालिभदु सामिय कर्हि अच्छइ नाहु कहेइ गेहि गउ हुँतउ तुज्झ धन्नि धन्नई सहु संतउ खणु गेहंगणि थक्कु निरुब्भउ पुणु परियाणिउ पई न हु निब्भउ पुव्व-जम्म-जणणी-विहराविउ __ पहि महियारी दहि पाराविउ १० गउ मसाणि खामेविसु नीसरि गुरु-गिरि-कंदराहिं जिंव केसरि 1. L गोरचरिय 2. L पणमइ 3. P. महतारी 4. L सालिसाहु 5. L मुणीसरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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