________________
संधिकाव्य समुच्चय
आह' सा दस-गुणं पुण वि रोयतिया नाइ वज्जाहया विरह-सतत्तिया एरिसो सामि हासो मए हा कओ छ तए लेवि सो चेव सच्चीकओ ८ अहह मा नाह खलु खिवसु खार खए दूसहो दोहि विरहो अहो मह जए एस पाणेस जइ नाम तुह निच्छओ पव्वइस्स तओ हं पि किं पच्छओ १० जच्च-अच्चाहिं चेहरे अचए कुणइ सारं च *साहारणे संचए नर-सहस-वाहि-सीयाए आरोहए दितु दीणाइ-दाणाणि सो सोहए १२ समवसरणम्मि वीरस्स पत्तो तओ दिक्खिओ देवदेवेण सकलत्तओ
घत्ता इय सामिहिं दिक्खिउ तियसह सक्खिउ सालिभद्दि सो जाणियउ तो अइ चिंताविउ भणइ हियाविउ ह तिणि अग्गल होडियउ ।।१५
[१२] सालिभद्दो वि संवाहमव्वाहयं । कुणइ जिणबिंब-सघाइ-पूयाइयं .
नव-नहुल्लिहण-हाणाइणा सोभिओ सुरहि-हरिचदण -द्दव-समालभिओ २ कडय-कुडल-किरिडाइ-सिंगारिओ सेय-निप्पट्ट पहुँसुयावारिओ रयण-कलहोय-सीया-समासीणओ असम-सिव-सोक्ख-लक्खम्मि सलीणओ ४ तार-तूरारवाडंबरेणं तओ
सामिणो समवसरणम्मि सपत्तओ तेण निय-पउम-हत्थेण जा दिक्खिओ अमय-सित्तो'व्व ता जाउ सो सुक्खिओ ६ सालिभद्दो य धन्नो य दोवि हु मुणी पढिय-एक्कारसंगा असंगा गुणी' भुवणदीवेण देवेण सद्धिं सया पुहवि विहरंति सह चेव सच्चे स्या ८ रस-परिच्चाय-मासोववासे ठिया दो-ति-चउ-पंच-मासोववासप्पिया पसम-सज्झाय-सज्झाण-सद्धाविही कट्ठऽणुट्ठाण-निट्ठाह निट्ठानिही १० सुसिय-रस-रुहिर-वस-मंस-मज्जामया जाय ते सुक्क-कीकस-सिरा-चम्मया
पत्ता अह वीर-जिणेसरि सहुँ परमेसरि विहरमाण आणंदभरि पत्ता परिवाडिहिं कम्मह धाडिहिं तहिं जि रायगिह-11नगर-वरि ॥१२
1. L अहंसा 2. L खलु 3. P तुह नाम जइ 4. L साहणनासंचए 5. L भवणह. 6. Lदठ व 7. L तित्तो 8. L सुसिक्खिओ 9. P मुणी 10. P परिवारिहि 11. P वर-नगरि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org