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सालिभद्द-संघि गुरु कहइ सालि 'पुच्छउ स-भाउ जिण-संजमि होइ' न पेस-भाउ
घत्ता
वेरग्ग-निरग्गल आगय मंगलु भावण भाविय सुद्धमइ पव्वज्ज-समज्जणि कय-निच्छउ मणि माइ घरागउ विन्नवइ ॥१२
[१०] मई माइ निसामिउ समण-धम्मु सिरि-सूरि-पासि अच्चंत-रम्मु तो भगुर- भोग-विरत्त-चित्त मई मेल्हि चरउ निच्चल चरित्त २ अह भणइ माइ मुच्छाए हिं इय असणि-तुल्ल मा उल्लवेहि मण-नयण-जीव-जीविय-समाण मह तुह विणु झत्ति पलाहि पाण पर-पेम्म-परावस पेक्खि बहुय "टलवलिवि मरेसहिं सव्वि बहुय तुहं सरस-कमल-कोमल-सरीरु तउ करिवि न सक्किसि नणु अधीरु ६ वय-निच्छउ पिच्छिवि तासु माइ अइ नीससेवि एरिसु भणाइ कम-कमिण मेल्हि तूलीउ ताव खर-फरुस तणू-लय होइ जाव निय नियवि माइ-मोहंधयार । झरहर-झरंत बहु बाह-धार । पडिवज्जइ जं जणणीए वुतु सो साव-सलक्खणु एक्कु पुत्तु तहिं समइ सामि पुन्नेहिं तासु सिरि-वीरु पत्तु केवल"-विलासु
घत्ता अह सालि-सहोयरि अइ-तुच्छोयरि सत्थवाह-धन्नय -घरणि अब्भंगु करती अरु रोयंती आपुच्छिय तिणि तह जि खणि ॥१२
[११] केण अवमाणिया रुयसि पाणप्पिए नावमाणं कुणइ को वि मे तइं पिए सालिभद्दो उ दिक्खाकए सज्जए जेणमेगेग-तूलिं दिणे वज्जए २ ताव धन्नेण धन्नेण सा वुच्चए हेल्लि'' काऊरिसो कायरो सो जए । एक्क-हेलाइ नेहं न जो कट्टए तस्स को नाम नाम पि उग्घट्टए ४ भारिया भासए जइ सि सूरो खरो ता न किं होसि अज्जेव तं जइवरो भणइ सो एत्तियं चिय पडिक्खंतओ पिक्खियन्वोऽहुणा वयमहं लिंतओ ६
1. P पुच्छउँ 2. P होह 3. L मेल्ह 4. L तलवलिवि 5. L वउ 6. L मेल्ह 7. P केवलि 8. L धन्ना 9. L तं 10. L हेलि
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