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संधिकाव्य-समुच्चय
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स्यणाभरण भूरि वियरेविणु महुरालावि भावि बोल्लावइ मलिय माल मालइहि मिलायइ चलवलंतु सो पिक्खिवि ताव हि अह धारागिरि-मंदिरि पत्तहिं 'मुद्दा-रयणु जलंतरि पडियउ भद्दा-भणिय-चेडि संचारइ बहु-रयणाभरणंतरि' तं ठिउ कारणु चत्ताभरणहं पुच्छइ नितु वहु नव-नव भूसण अड्डहिं
सेणिगु निय-उच्छंगि करेविणु पुणु तणु-फासु तासु दुक्खावइ २ जिव तिव तणु तसु तक्खणि जायइ. भणइ स पुत्तु जाउ निय-ठावहि ४ मज्जण-केलि-विलासु करतहिं जोयंतह वि न तसु करि चडियउ ६ वावि-नीरु ठाणंतरि धारइ अंगारु व नरवरि ओलक्खिउ नरवइ ताहं भद्द आइक्खउ पहिरिय पुण इह वाविहि छड्डहिं १०
घत्ता
तो चित्ति चमक्किउ निवु पुवक्किउं - चिंतइ भद्दा-सुय-तणउं भद्दा आपुच्छइ
मंदिरि गच्छइ । पालइ रज्जु पवित्त-नउ ।।११
[९] अह सालिभदु चिंतेइ तत्तु हा हा हयासु हउं अइ-पमत्तु निय-तरुण-रमणि-रमणेक्क-लुद्ध निय-जीविउ निप्फलु नेमि मुद्धु २ किउ सुकिउ कि पि मई पुव्व-जम्मि तिणि तियस-भोग उवलद्ध धम्मि पुणु खूणु एउ एत्तिउ मुणामि ज मह वि अन्नु सपन्नु सामि ४ इह पुत्व-भवज्जिय-पुन्न-पाव
पवियंभहिं लंभिय" भूरि भाव ता धम्मु करेवळ मई समग्गु अपवग्गहि, सग्गहिं सरल-मगु अह धम्मघोस-गुरु विहरमाणु तहिं पत्तु "अमिय-निज्झर-समाणु सेणिउ असेस-सेणा-सणाहु जाइवि नमेइ तो मुणिहि नाहु अह सालिभद्दु. संपत्तु तत्थु मुणिनाह-वयणु निसुणइ महत्थु नव-नव-भवंत-संवेग-वेगु
पक्खालइ माणस मलु अणेगु १० 1. भद्दा 2 L ठियउ 3. L तरुणि 4. L संपत्तु 5. L लब्भिय 6. L अचिंतिउज्झर 7. P मुणिह
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