SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ कर्ता : रत्नप्रभरि सालिगामु नामेण पसिद्धउ धन्ना नामि का वि विहवंगण तसु अहेसि संगमु इगु अंगउ माइ कयाइ तेणं रोए विणु तं पेक्खिवि सा रोयण लग्गी मिलिय सइज्झी पुच्छहिं कारणु बहिणि न जाणइ बेट्टउ काई अप्पिय तहिं ताई तो पायसु परिवेसिव सा थालि विसालइ तसु घर-बारि तवस्सि तिगुत्तउ ४. सालिभद-संधि तउचित संगमु जउ साहु महा-तउ Jain Education International उट्ठइ थालु विसालु सु लेविणु खीर देवि सो चित तित्तउ' कटरि करि अवसरु संजायउ बपुरि बपुर मुणि- सीह-पसाऊ माइ पुण वि परिवीसह पायसु स्यणि अजीरमाणि जेमणि तिणि पत्त- दाणि तिणि आउ निबद्धउ काम-पम- अग्लु रचना- समय : ई. स. ११८२ ] [१] आसि गामु धण-धन्न - समिद्धउ तहिं कम्मयरी आसि अकिंचन लोयहं वच्छरु य चारंतउ मग्गिय खीरि करग्गि धरेविणु प्रिय सुमरेविणु नीधाण चंगी कहियई तीए करिति निवारणु मह कहि तंदुल दुद्ध-घयाई रद्धउ सिद्धउ तीए महारसु पायसु पुत्त पत्र परालइ मासखमण-पारणइ पहुत्तउ धत्ता गुण-गण-संगमु अवसरि आगउ [ २ ] मुणि पडिगाहइ गुण चिंतेविणु नं सव्वंगु " सुहारसि सित्तउ भरिउ थालु खीरिहि मुणि आयउ मह दितह खंडियउ न भाऊ जिमइ जाव सो धाइ महायसु वासिय- वमणि मरेइ तहिं दिणि नर-भवि उब्भड भोग-समिद्धउ जयइ सुपत्त- दाणु जय-मंगलु 1. L तंतउ 2 P सुहरसि 3. L जाइ सो धाइ 4 P जइइ ४ For Private & Personal Use Only ६ ८ १० कटरि पुन्न परिवाडि महु विहराव वर-खीरि सहुं ॥ ११ २ ४ ६ ८ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy