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गयसुउमाल-संधि
अगर-गंधसारिहिं सक्कारइ जणणि-मुक्क-पोक्कार निवारइ सोगावेगु माइ मा किज्जउ पर परमत्थु महत्थु मुणिज्जउ धन्नु पुन्नु वन्नियइ सया मुणि अमरिहिं गयसुकुमालु महा-मुणि जसु निमित्त तवु तिव्वु तविज्जइ नीरसु नीरु निरन्नह पिज्जइ पुव्व-कोडि-संजमि पाविज्जइ जं सिव-सुहु सं पत्तु महा-जइ इय संबोहिवि माइ चडावइ रहवरि हरि नयरिहि जा आवइ ताव तासु तं पिविखवि विप्पहि सिरु फुट्टउं सयखंड दुरप्पहि
घत्ता जायव-चूडामणि जाणिउ सो मणि विप्पु दड्ढ गय-साहु सिरु तउ काल-बलदिहिं डिडिम-सदिहिं कड्ढाविउ नयरीहिं निरु ॥११
[१४] उत्तम अनइ निसम्गि न ढुक्कहिं मज्झिम अन्नि निवारिय थक्कहिं अहमह अनउ निरंभइ राजलु अन्नहं होइ लोगु अइ-आउलु गयसुकुमाल-महामुणि-मारणि उत्तमंगि चिय अग्गिहि जालणि अस्थि सु कोइ नेव जायव-जणि जो न जाउ अइ-दुक्खिउ तक्खणि तिणि वेरन्गि लग्गि अइ-अग्गलि विणु वसुदेवि एक्कि जस-उज्जलि नव दसार पव्वज्ज पवज्जहिं परिवारिय पाएण स-भज्जहिं सामि-माइ सिवदेवि महासइ सव्व-विरइ-संजमु उरलासइ सत्त पुत्त अवरि वि वसुदेवहिं तहिं अवसरि वर-संजमु सेवहिं जउकुमार दुव्वार वि दिक्खिय जिण-सगासि जइ-सिक्ख सुलक्खिय कन्हि स-कन्न सव्वि दिक्खाविय न हु कय-नियमि का वि' परिणाविय १०
घत्ता
इय गयसुकुमालिहि चरिउ अबालहि अइ-साहस-निव्वाह-वरु
जो पढइ भत्ति-भरि गुणइ महुर-सरि जाइ दूरि तसु दुरिय-भरु ॥११ ___1. P म 2. L निरुत्तह 3. P द? 4. L बलिद्दिहिं 5. L संयम 6. L मां आ चरण नथी. 7. L काउ
अंतः P. L. || इति गजसुकुमाल संधि : ॥
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