SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जं मोक्ख - सोक्ख साहण-समत्थु हरि-भूवइ भुंजइ भारहद्धू हउ जगि कयत्थ एक्क जि निरुत्त निय - गिह पहुत्त झूरत होइ करयल - निहित्त निम्मल कवोल 2. गयसुउमाल-संधि [ ६ ] छहि सज्जिउ संजमु सुप्पसत्थु जस-तोसिय-गण-गंधव्व- सिद्धु ज सत्तर्हि इय पुत्तेहि जुत जं पालिउ न हु निय- बाउ कोइ अइ-तरल-सरल-नीसास- लोल हरि दिठ देवि सोयधयार किं कुणसि माइ एत्तिउ असुक्खु कु वि सिद्ध मज्झि न मणोरहाण ८ तिहुअणि वि इट्टु किं तुह कहेहि निय " जणणिहि फेडउं दुक्खु जेम्व 'दुलदुलदुलंत - नयणंसु- धार तिणिपुच्छिय पणमिवि चित्त दुक्खु तुह लंघिय केणइ किंतु आण मह देव अंब आसु देहि आमि अब अविलबमेव अह भुवण - महासइ जं पुण नो पालिउ धत्ता Jain Education International देवइ भाइ एक्कु वि लालिउ [७] अवरे वि पढम सुलसाए सच्छ भुक्खियहं जेवं वर-खीरि-थाल अरु साव सलक्खण सोक्खकारि निय - अंकि बालु पालिउ पिरंतु निय बाल जि पेक्खहिं सुपसन्न किय' कोइल जिव निय डिंभ दूरि जह पालउ बालु सलोल - वाणि एगति निसन्नउ दाणवारि अट्टम - तवेण उवविट्टु विट्टु तु पालिउ ताव जसोय वच्छ अह हरिय तुम्हि सत्त वि सुबाल अइ धन्न पुन्न ता चेव नारि सयमेव जाहि पर पज्झरंतु हरि हरिणि गावि वानरि वि धन्न हउं दइवि सुदूमिय दुक्ख भूरि ता तह करेसु सारंगपाणि ओमिति भणेविणु बंभयारि पत्थरिवि दब्भ-सत्थरउ सुदु मणि धरिवि पुव्व-संगइय' देउ 10 आकंपिय आवइ भाइ एउ २३ ४ अवरु दुक्ख लेसो विन हु स- सिसु खुडुक्कर तं जि महु ।।११ For Private & Personal Use Only ६ १० २ १० 1. L जइ 2. P दुलहुलदुलंत 3 P तिण 4. P एत्तिअसुक्खु 5. P सिट्टु मणि 6. P जणणि फे० 7. L जिय 8. L सलोग-वाणि 9 P संगइउ 10 P आकंपइ ६ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy