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गयसुउमाल-संधि
विहरावइ देवइ देवि ते वि खणमेत्ति तइज्जउ तत्थ पत्त अग्गेसरु मुणिवरु देवसेणु विहराविय ते वि हु मोयगेहिं
वियसंत-चित्त मोयगिहिं बे1 वि संघाडउ सुमुणिहि अप्पमत्तु अणुपह-पय? पुणु सत्तुसेणु । निय-भाव-भत्ति अइ-कोउगेहि
घत्ता
ते वि हु विहराविवि चिरु निज्झाइवि चितइ चित्ति' चमक्कियइ किं एहु भराडउ मुणि संघाडउ वार वार घरि एइ हइ ॥१३
[३] पय पणमिवि पुच्छइ मुणिकुमार ते देवइ तो वर-भत्ति-सार किं तुम्ह साहु दिसि-मोहु एहु जं वार वार मह घरि उवेहु । अह लहह न कत्थइ एत्थु थामि धण-धन्न-समिद्धइ भिक्ख सामि अतरिय चित्ति अहवा वि अम्हि अवरि' वि मुणेमि ते चेव तुम्हि अह पभणहिं साहु महाणुभावि परमत्थु कहहुं सुणि एक्क-भावि भद्दिलपुरि अच्छइ नाग-सिहि तसु सुलस भज्ज पइ-पेम्म-सिट्ठि जिण-धम्मि रम्मि अणुराय-रत्त ते दो वि देव-गुरु-पाय-भत्त सुय अम्हि ताहं सुसरिक्ख-रूव जण छा वि पुन्न-कारुन्न-कूव पडिबुद्ध धम्म-देसण सुणेवि महि विहरहुं नेमिहिं दिक्ख लेवि ता जाणउ तिहिं संघाडएहिं परिवाडि पत्त ते तुज्झ गेहि
घत्ता
इय सा निसुणंती हरिसु वहंती रोमंचंचिय-काय-लय मुणि दो वि ति वंदइ सुहु अहिणंदइ चितइ तक्खणि तोस-गय ॥११
[४] हउं जाव नियउं ए साहु-सीह हरि-तुल्ल-रूव रज्जह निरीह ताव सई हसइ वियसेइ' चित्तु नं अमिय-वारि नयणिहिं निहित्तु २
1. L देवि 2. L चित 3. L ते 4. P लहइ 5. P अवरे वि मुणामि 6. P तो 7. P संघडएहिं 8. P पत्ता 9. P मुह 10. P विहसेइ
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