SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीरजिण-पारणय-संधि तहि अन्ने वि पत्त तंबोलिय- सालिय-हालिय-नालिय-मालिय जोहारेविणु विहुणिय माऊ चंदण-बाल सिराहइ राऊ . सुदरि सुदरु जम्मु 'तुहारउ नामुविकत्तणु तुह गुणकारउ तुह परि तियसिहि जसु सलहिज्जइ जग-धवलहरु जेण धवलिज्जइ पइ पाराविउ वीर-जिणेसरु अन्नहि कसु वि न एत्तिउ गुणभरु किं मायंगह घरि करि बज्झइ रंकह कामधेणु किं दुज्झइ पत्ता एवहिं पई खालिउ महिलह टालिउ थी-कलकु न संघडइ चंदणह महा-मइ देवि मिगाव इय भणेवि पाइहिं पडइ ।।९ [१७ } निवु चसुहारहिं सत्तण लग्गउ तउ सक्केण निरक्खिउ थक्कउ धणु जसु कासु वि चंदण अप्पइ लहइ सु एत्थु न अन्नु पहुप्पई २ ताउ धणावहु सो धण-सामिउ तेण तीए तसु चेच पणामिउ नरनाहेण वि तसु अणुजाणिउ घर-अभिंतरि सेट्ठि पराणिउ संपुलु नामि महल्लउ आसि आविउ देवि-मिगावइ-पासि चदणबाल तत्थ सो पेक्खिवि पाय-पडिउ रोयइ ओलक्खिवि कहइ मियावइ भणिउ सु तक्खणि एह राय-दहिवाहण-नदणि वसुमइ ति निरु धारिणि-जाई जाणिउं चंपा-भगि इहाई घत्ता तो देवि नियंती भणइ "रुयंती ___ भाइणिज्जि तुह होसि महु वच्छे आलिंगसु मई निव्वावसु इय आलिंगइ सा सुबहु ॥९ [१८] कय-जोहारु 'राउ सुरराई भणिउ निसुणि मह सासणु काई बाल नेहि निय-गेहि नरेसर पालहि केवि मास सुह-निन्भर २ __ 1. L तहारउ 2. P तसु 3. L निरक्किउ 4. L लेइ 5. P निरधारिणी 6. L रोयंती 7. P रायड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy