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________________ १८ संधिकाव्य समुच्चय वीरह नाणि जाइ उक्कोसइ सिस्सिणि पढम-पवत्तिणि होसइ करिहिं चडाविउ चंदण तक्खणि नीय नरेसरि निय-मदिरि खणि गयउ सक्कु धवलहरि धरेविणु चंदण देव-दूस वर देविणु कन्नतेउर-मज्झि रमंती अच्छइ जिण-केवल पडिखंती गामागर-नगरिहिं विहरंतउ जंभिय-गामि सामि संपत्तउ । उजुवालिय-नइ-तीरि जु' सालु तसु तलि ठिउ तव-छट्ठ-विसालु पत्ता अह वरिसि दुवालसि गयइ अणालसि छहिं मासिहिं पक्खन्गलिहिं सिय दसमि विसाहह तिहुयण-नाहह नाणु जाउ झामियकलिहिं ॥९ [१९] मिलिय बत्तीस तियसेस चलियासणा महिम नाणस्स तस्सावहति क्खणा अह समवसरणु किरणावली-राइय' रयण-तवणिज्ज-रुप्पेहिं उप्पाइयं तत्थ तित्थेसु सोहंत-सीहासणो खणु समासीण होऊण चउराणणो पत्तु तत्तो वि पावाइ पावण-गुणो तत्थ तित्थं समत्थे चउहा जिणो ठाविया ताव एक्कारसुब्भड-गुणा गणहरा गोयमाई तहा नव गणा तियस-नाहेण तत्थाणिया चंदणा दिक्खिया "मयहरी ठाविया सामिणा ६ पुण वि विहरइ महिं नाहु मंडतओ भविय-कमलाई भाणु व्व भासंतओ खाइयं दंसण सेणिओ पाविओ तित्थ नामं महत्थं समस्थाविओ ८ घत्ता सिद्धत्थह नंदणु भव-निक्कंदणु केसरि-लंछण-लछियउ 'चउदह जइ सहसह सामिउ सुजसह देउ देउ मह वंछियउ ॥९ [२०] पाडिफद्धि' पसिद्धि च सद्धि तए देव कुव्वतु गोसालु गजिउ जए मज्झिमं पत्तु पावापुरि अप्पणो जाणिऊण च निव्वाणु निस्सम-गुणो २ चरमु निस्समु समोसरणु सुविराइयं 18सुकसालाए पावाए आपूरिय तीस वासाई तुममासि गिह-वासिरो वारसद्धं च छउमत्थवत्थाधरो 1. I पवित्तिणि 2. P खाणी 3. L मिणु केवलि 4. L तीर जि सालू 5. L छ। 6. L नाहस्स 7. P मालियं 8. Lमहयरी 9. L मां आ पक्तिनो पाठ ज नथी (चउदह ...बंछियउ सुधी) 10. L पाडिपद्धिं 11. L सिद्धिं 12. L गुव्वतु 13 L सुक्कसालाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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