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________________ १६ जंगमु कप्परुक्खु किं आयउ कुसुमबाणु किं दिक्ख समिद्धउ सा परमेसरु पेक्खिवि चितइ कटरे मह पुन्नह परिवाडी उटि पिकखवि पहु घरि आउ भइ सबाह- पवाह " सुभासहि पहु एउ सुविणु निय-पाणि पसारइ संधिकाव्य समुच्चय मरगय- माणिक्कहि समलकिय-भूसण पारगामि-पारणय- महूसवि बाहि देव-दुंदुहि आनंदिय रयण-कणय' ० - ककण-मणि-हारा घरि घरि तोरण वदुरखालिहिं पुरं सुदा सुदाणुग्धोसिंहिं" सिरि सिररुह - भरु बालह जाउ नियल विलीण विलीणा रीसहि पहिरिय पंच-रंग पडि कप्पड Jain Education International सुरगिरि अवरु एत्थु किं जायउ विहरइ अहव धम्मु तणु-बद्धउ अरि रि अतिहि मई पाविउ संपइ पूरी अतिहि-तणी राहाडी उबर बाहिरि मेल्लइ पाउ पारहि पहु 'तुहुं इय कुम्मासहि नियम सरेविणु अंजलि धारह 1. आरूढउ सिंधुर खंधरा हिं देवि मिगावइ 1 सहुं संपत्तउ 16 घत्ता मोतिय-चउक्किहि अवगय-दूसण [१५] सपरिवार संपत्तइ वासवि बरिस हि कुसुम - समूह' - सुगंधिय वरिसहि तखणि ते वसुधारा किज्जहिं चेलुक्वेव ' " झयालिहि नच्चिर सूर - समूह जणु " तोसिहि सरल तरलु नं मोर-कलाउ मणिमय- नेउर पाइर्हि दीसहि पट्ट हीर नवरंग महुब्भड 15 घत्ता दव्वाईहि महग्घविउ सा वहिरावर सुप्पि किउ ॥९ [ १६ ] राउ सयाणिउ नीइ - अमूढउ रायत्थाण - जणो वि पहुत्तउ ४ 14 ८ For Private & Personal Use Only ४ ६ पउमराय - विदुम- दलिहि पहिरिय अंगिहि उज्जलिहि ॥९ ८ २ 1. L2 P सो 3. L पेक्खवि 4. L अंबरि 5. L मिल्हइ 6. L सभासहि 7. L तुह 8. L विहरावद 9. L समूहि 10. I. कणय-मणि- मोत्तिय-द्वारा 11. P कवालिहिं 12. P " ग्घोसहि 13. L जिग 14. P तोसहिं 15. L राग www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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