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धीरजिण-पारणय-संधि अह एइ सिट्ठि न हु नियइ बाल गुण-रयण-माल सिय-जस-विसाल हु रमण-केलि-नीसह-सरीर सुहि सुत्ति होसइ मज्झि धीर । न हु नियइ दुइज्जइ दिणि वि जाव उक्कंठ-विसंठुलु सेट्ठि ताव . जणु परियणु पुच्छइ आयरेण न हु कहइ कोइ मूला-भएण चितेवि सवा(या)णी सहिय-पासि निरु रमइ कहिं विसा गुणह रासि अह कह वि पत्तु वासरु चउत्थु तो जाउ सेटिठ कोविण विहत्थु -
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पत्ता
आबालहिं 'बालहिं मूला-दुच्चिट्ठिउ .
"तउ गुणमालहिं कहइ जह-ट्ठिउ
थेर-दासि धीरिम धरिवि मरणु जाव अंगीक रिवि ॥९
१३]
तो मणि दुक्खिउ धणु 'अइयारिं हणिउ किं मोग्गर-गाढ-पहारि अइ-वेगि गउ चारग-बार । ताल अप्फालेइ कुठारि निय-कर-कमलि कउलु वहती ढुलहुलु बाल दिट्ट रोयंती ति-दिवस-निरसण भुक्खहि भुल्ली करि-उम्मूलिय-कमलिणि-तुल्ली
छुहिय-बाल तउ भोयणु चाहइ •मूला-थवियउं कि पि न पावइ दिटठ कह वि कुम्मास ति लेविणु अप्पिय सुप्पह कोणि 'करेषिणु धणु गउ नियलउग्घाडण-कारणि कारुहु कस्सइ सइ हक्कारणि चंदण ते कुम्मास पलोयइ पिइय-हरु सुमरेविणु रोयइ
पत्ता
न हु तारिसु विज्जइ अतिहि जं दिज्जइ तिहि उववासहं पारणइ जइ तह वि अवत्थहिं पावउ दुत्थहिं तो पारावउं को वि जइ ॥९
[१४].. एत्थतरि तित्थेसरु पत्तउ चंदण-पुन्निहिं पेल्लिज्जंतउ तरणि तिव्व-तव-तेय-विराइउ कचणु चित्तभाणु नं ताविउ
1. P बालाहि 2. L तो 3. P मरणि 4. L अइयारइ 5. L कुठारई 6. L बाल सा तइ घणु चाहइ 7. L धरेविणु 8. L जु
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