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- संधिकाव्य-समुच्चय
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जइ हूय एह किर सेट्ठि-घरणि ता इंतु मणोरह मज्झ मरणि जो खीरि-खंड-खज्जूर खाइ खल-भक्खणि तासु किं चित्तु जाइ जइ छिंदउं बाली एहू वाहिं तो होइ अवसु मह मण-समाहि सा कुणइ तासु अवमाणणाउ अक्कोसण-तज्जण-तालणाउ सा सहइ सव्वु जिव जच्च-भिच्चु आराहइ निय-जणणि व्व निच्चु पुण एरिसु तं पइ तासु झाणु विस कुंभु जेंव कय-विस-पिहाणु
घता
अह अन्नह सौ दिणि अइ ऊसुगु मणि उस्सूरह धणु आवियउ दासीयणु पुच्छइ को वि न अच्छइ निय-कज्जिहिं को कहि वि गउ ॥९
ता चंदण चल्लिय नीरु लेवि - निय ताय पाय धोएमि बे वि पुण पुण वि तेण वारिज्जमाण पक्खालइ पय विणएक्क-ताण समभरि लुलंतु कुंतल-कलाउ कद्दमि पडंतु 'अंबोडयाउ सई धरिउ धणावहि लील-लट्ठि पय धोय जाव बालाए कट्ठि मज्जारि जेंव कोमइ निलुक्क धण-भज्ज सव्वु' तं नियइ चुक्क चंडक्किय चितइ एउ दिट्ठ ता मज्झ कज्जु निच्छ्इ 'विण? ६ ता जाव जाइ घर-बारि एहु निय पुति कतु सकलकु देहु ता सिट्ठि पियारइ केसपासि निय रोसु सहावउ बोड दासि
धत्ता न्हाविउ हक्कारइ सिरु मुंडावइ पाएहिं नियलई "निक्खिवइ चारगि पइसारइ कबिहि मारइ वारि वारि तालं दियइ ॥९
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तो तीए चेडि-चेडाइ-वगु निठुर-गिराहिं भासिउ समग्गु जो सेठ्ठि कहेसइ एहु अत्थु सो मारिसु कारिसु अह अणत्यु
1. P. विणएण एक्कताण 2. L अम्मोययाउ 3. P कैणइ 4. L ता 5.-L. चंडिकिकउ 6. L मज्झि 7. P. विणिटटु 8. P मां आ चरण नथी.. L. निय रोसु सहायउ छोड दासि 9. P निक्खिइ 10. मां 'वारि वारि' पाठ नथी.
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