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________________ एक्कि अगि दहिवाहणु नट्ठउ पाविय पाइकि धारिणि राणी कोसंविहि सो पुरिसु उवेई धारिणी सील-कलकु कलती पाइकु पच्छत्तावु करंतउ महुर-महुर-वयणिहि संभासइ अणुणित सारिहिं पणवीहिहिं हिंड भुवणह वि पियारी कि कत्थइ कोसिउ वीरजिण पारणय- संधि जा तीए सार-सोहग्ग-गेह ता चित्ति सक्किय चितवेइ 1. L कंसु सो कोसु सु 4. P पर 5. L घणावर 6. 9. P तावइ Jain Education International हरि करि कंसु कोसु सउ टूट्ठउ अनु तसु वसुमइ धूय सियाणी मह पाणप्पिय होसु भणेई हियडउ फुट्टिवि पर - भवि पत्ती मरिसइ एह इ एउ मुणंतउ जिव गय-सोग बाल सा भासइ विवि-याहि सिरि तिणु अड्डइ [९] अह तत्थ घणावहिं दिट्ठ सेट्ठि सा नाइ कुसुम-सर-चाव- लट्ठि सुकुमार गोर पत्तल सुदेह नं चलिर " सुवन्न - सुवन्न - रेह * पेक्खिवि सिटिठ तं तत्थ पत्तु जिव धूयहि तिव घारइ ममतु उल्लविय - मोल्लि सा लइय तेण न पेल्लिउ तसु पुन्नोदण निय - भवणि नीय सा सेट्ठि बाल घण- कुडिल-काल- सुपलंब-बाल पुत्ति व्व तेण अप्पिय पियाए मूलाए निच्चु निखच्चियाए निय - गुणिहि तीए नीसेस - लोउ फुडु विहिउ फुरिय-फार-प्पमोउ हिम-सीयलाए भुवण-पसिद्धु तिणि चंदण त्ति नवु नामु लछु घत्ता सा जय - सारी होइ तोसिउ [१०] पत्ता ६ कोहि सो पत्तु नरु जिव पावइ पर - दव्व भरु ॥१९ मूला निएइ नव- रूव-रेह निय-भज्ज एह नणु धणु करेइ ८ १३ मूलाए न सुहाइ मणि जइ " तवेइ अंबरि तरणि ॥९ For Private & Personal Use Only मट्ठउ 2 P पच्छुतावु 3 P उड्डुइ L. उदुइ L सवत्त सुवन्न 7. L पक्खेव सेट्ठि 8. P पुन्नोदयऍण www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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