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________________ संधिकाव्य समुच्चय सिरि-तिसलादेविहि भत्तिज्जी सामिहिं माउल-भइणि मणोज्जी जाणित तीए पुरीहिं वसंतउ आभिग्गहिउ घरिहिं विहरंतउ निरसणु सामि तेण दुह-तत्ती तज्जइ रहसि राउ रोयती' सामिहि नियमु कोइ न हु नज्जइ घरि घरि जाइवि झति नियत्तइ ता पिय तुज्झ रज्जि किं किज्जइ कि विन्नाणि जाणि साहिज्जइ । नाव न सामि अभिग्गहु जाणिउ आलु ताव तुहु राउ सयाणिउ घत्ता ॥९ इय वयणु सुणेविणु नरवइ दुम्मणु हक्कारावइ जइ 'सुजम वंदिवि ते पुच्छइ साहु सुनिच्छइ परम-तवस्सिहिं जे नियम [७] दव्व-खित्त-कालिहिं अरु भावि कहिय अभिग्गह तेहि स-माविं राइ कहाविय तो पुर-नारिहिं जिणु विहरावउ विविह-पयारिहिं का वि नारि मंगल गायती मोयग देइ नियंगु नियंती कंस-पत्ति कुम्मास वहती अवर विमुक्क-केस' रोयंती का वि हु पाइहि दावणि दाविय वियरइ वासिउ भावण भाविय अवर करण-चारी-संचारिहिं नच्चिरि' खीरि देइ सहुँ वारिहिं आसवारु' कुंतगि करेविणु मंडा को वि देइ पणमेविणु तह वि न सामिउ पाणि पसारइ वलिवि जाइ निय-नियमु न हारइ ६ ८ धत्ता तउ देवि सयाणिउ सेट्ठि सवाणिउ सत्थवाहु सन्वो वि जणु अइ दुक्खावडियउ चिंता चडियउ अच्छइ निच्चु ससोग-मणु ॥९ [८] इओ यराउ सयाणिउ धाडिहिं धाविउ नावासइ निसि चपहि10 आविउ नियय-सेन्नि जग्गहु घोसावइ लुटहिं लोय जासु जं भावइ . २ 1. P भतिज्जी 2. Lरेयंती 3. L तुह 4. P सुसंजम 5. L देव-खेत्त 6. L कोमास 7. P.नच्चिर खीर 8. L असवार 8. L सपाणिउ 9. Pचडियउ 10. Lचंपई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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