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________________ वीरजिण-पारणय-संधि ६ कहिं वि कराल-ताल-उत्ताला भेसहिं भीसण-तणु वेयाला कहिं वि सुमत्त-दति दतगल 'ढुक्कहिं चुक्क चित्त कोवग्गल कत्थ वि खर-नहरंकुर-दुद्धर केसरि केसर-भासुर-खंधर कत्थ इ फुड-फुलिंग-फारप्फण कुडिल-कराल-काल-फणि उव्वण घत्ता जिंव मेरु महीहरु सिहर-निरंतरु न हु वायहि कंपावियइ उवसन्ग-परीसहि अइसय-दुसहि वीरु' तेव किं चालियइ ॥९ वरिसि दुवालसि महि-विहरंतउ दुसह-परीसह-अहियासंतउ उग्गुवसग्ग-वग्गि अपमत्तउ सामिसालु कोसंबिहि पत्तउ नवउ नियमु तहिं लेइ जिणेसरु एयारिसु तिहुयण-परमेसरु । राय-कन्न निरु असरिस-वेसिहि रोयंती "सिरि मुंडिय-केसिहि गुत्ति निहित्त नियाणिय-नीसहि निगड-निजंतिय 'तिहिं उववासिहि' सुप्प-कोणि कुम्मास करेविणु घर-बरु पय अंतरि' देविणु भिक्ख-कालि टलियइ जइ जत्थइ तो पारइ पहु अन्नह नेच्छइ10 पइदिणु पविसइ सामिउ भिक्खह दुसह-परीसह सहइ तितिक्खह खंड-खीरि-खज्जूर-करबय विहरावहिं कि वि मंडी मंडय अवर दिति वर-लडडुय लेविणु पहु न लेइ पुणु जाइ वलेविणु ८ १० पत्ता पइदिणु हिंडतह दुरिय दलंतह चउमास अइच्छिय - भिक्ख न इच्छिय अहियासंतह भुक्ख-तिस तणु होई12 सामिहि सुकिस ॥११ आसि सयाणिउ राउ रणुद्धरु समइ तम्मि कोसंबिहि बंधुरु हुती तासु मिगावइ राणी चेडा-रायह धूय पहागी २ 1. L मां आ चरण नथी. 2. P धीरु 3. P अहियासितउ 4. P उग्गुवसन्गि वग्गु 5. P सामि विसालु 6. P सिर मुंडिय 7. L तहि 8. P उववासिहि 9. P अंतर 10: L नोच्छइ 11. L विहरावइ 12. हुई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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