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________________ संधिकाव्य-समुच्चय पढमु माइ पर-लोइ पराई पुणु संपइ ताउ वि जस-वाई भाय करेहि चित्तु ता सज्जउं अणुजाणहि पव्वज्ज पव्वज्जउं ६ वीरह वयणु सुणिवि एयारिसु वज्ज-घाउ सिरि निवडइ जारिसु बाह-नीर-नीरंध'-कयच्छउ भणइ नंदिवद्धणु कय-निच्छउ घत्ता पंचत्तहं पत्तउ हउँ परिचत्तउ ताई भाय कित्तिय दियह संपइ पइ मुक्कउ जण घरि थक्कउ ता हियडउं* फुट्टिसइ मह ।।९ [३] विलवंतु नंदिवद्धणु निएइ पुणु मणु न सामि कोमलु करेइ मन्नाविउ वंसवरेहिं ताव पडिखाविउ वच्छर दोन्नि जाव २ तो ताहं वयणि जुग-दीह-बाहु घर-वासि वसइ पहु भाव-साहु कय-बभु अदंभु असंग-सोगु परिहरिय-सव्व-सावज्ज-जोगु उवसरिय झत्ति लोगतिएहिं 'वय-समउ सामि' पिन्नत्तु तेहिं वियरइ अणच्छु वच्छरिउ दाणु पसराउ जाव सिर-उवरि भाणु मोत्तिय-'मरगय-माणिक्क-अंक मणि-कंकण-कणय-किरीड-चक्क हय-गय-रह-पडि-कप्पड-पडप्प मगण-जणाहिं दिज्जई अणप्प घत्ता इय तीसहिं वासिहिं बिहिं उववामिहिं चंदप्पह-"सीयाए गउ अवरण्हह गिण्हइ वइ तारुन्नइ मम्गाइम-दसमीहिं बउ ॥९ [४] तहिं खणि मणपज्जाउ जिणिदह उप्पन्नउ पय-पणय-सुरिंदह विहरिवि नाइसड-वण-हुतउ कुल्लग-सन्निवेसि पहु पत्तउ गोवुवसम्गि निसिहिं संताविउ 11बल-बंभणि पायसु पाराविउ19 सहइ दुवालस-वास सुदूसह सामि उग्ग-उवसग्ग-परीसह 1. P अणुजाणह 2. L पव्वज्जहिं 3. L नीयंध 4. L हियड 5. P पडिक्खाविउ 6. P विन्नत्तउ 7. Lमराय 8. P कंचण कंकण किरीड 9. P सीबीयाए 10. L तउ 11 L बहल 12. L पराविउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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