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________________ [ कर्ता : रत्नप्रभसूरि 1 तिसलादेवि - कुक्खि' -कलहंसह छिन्न- सुवन्न- सुवन्न- सरीरह २. वीरजिण - पारणय- संधि दाहिण - भरह - खंडि संजायउ ग- तार- पायार- विराइउ जहिं जिण-मंदिर-मंडवि सोहहिं नगर-निरक्खणक उतिगि पती तं पसिद्धु सिद्धत्थह नंद उब्भड भड- वारणु चारह डि-पहाण [ १ ] वत्तियकुंडु गामु विक्खायउ आसि नयरु न परेहि पराइउ मणि-पुतलिय - पंति मणु खोहहिं अणिमिस अच्छर नं* तुरंती नामि नंदिवद्धणु जस- बद्धणु अगणिय-गुण-गण-सिद्धि पसिद्धउ घण-कण -कंचण कोडि समिद्धउ 1. L कुक्षि 2. L भणिउ 6. P सिठि 7 L रागु 11. B पुव्वु २ तासु सहोयरु आसि कणिट्ठउ सुरगिरि सुर-असुरिहिं कय-मज्जणु तेण" नंदिवद्धणु आपुच्छिउ जं माया-पियरिहिं पहवं तिहिं Jain Education International रचना- समय : ई. स. ११८२] [ ध्रुवक ] खत्तिय - नायवंस-अवयंसह पारण-संधि भणउं जिण-वीरह घत्ता अनय-निवारण अइबल राणउ [ २ ] वद्धमाणु नामिण गुण-जिट्ठउ जण-संजणिय-कम्म-सम्मज्जणु नियमु० पुन्नु मह संपइ निच्छिउ नाहं समणु होमि जीवंतिहि 11 जस-रंजिय-नीसेस सुरु पालइ कुंडग्गाम- पुरु ॥१९ 3. L गामि 4. L न तरंती 5. L नदवद्वणु 8. P. जेट्ठउ 9 L तेणि 10. P निममु ६ For Private & Personal Use Only ८ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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