________________
संधिकाव्य-समुच्चय
[१०] चितंतह एरिसु बारि पत्तु सेयंसह सामिउ जग'-पवित्तु तो हरिसि' माइ न कुमार अंगि नो घरि न बारि न हु दुग्गि दंगि ।१ चितइ सुतु? हउं अज्जु जाउ हउं अज्जु तिलोक्कहं एक्कु राउ मइ पत्तु खार-संसार-पारु उग्घाडिउ निरु निव्वुइ-दुवारु २ मइ भग्ग अणंगह आण गाढ उप्पाडिय काल-कराल-दाढ मई दिन्नु नरय-कूयह पिहाणु उक्खणिउ त सासय-सुह-निहाणु ३ पडिलाहउं अज्जु जएक्क-नाहु लहु होमि हियय-निव्वुइ-सणाहु मह अप्पसु रे वर-भूरि-भक्ख घय-खीरि-खंड-खज्जूर-दक्ख
घत्ता इत्थंतरि पत्तउ कलस-निहित्तउ महुरु सुसीयलु खोय-रसु ढोयणिउ त लेविणु करिहि करेविणु कुमरुप्पाडइ हरिस-वसु ॥१०
[११] पाणि-पियामहु पाणि पसारइ अविवर-पवरंजलि वित्थारइ सिरि-सेयंसु कुमारु पलोयइ तहिं बहु नव-रस-कुंभ वि रोयइ १ सहइ सधार जेव गिरिहंतउ गंग-पवाहु कुंडि पवडंतउ दीसइ रस-विसेसु सोहंतउ न उण तिलोयनाह-मुहि जंतउ ।२ जिणु अच्छिद्द-पाणि तेणंजलि. बिंदु वि पडइ नेव धरणीयलि तसु सिह जाइ जाव रवि-मंडलु पासि पलुट्टइ बिंदु वि नो खलु ।३
घत्ता सेयंसि सुहावउ जिणु जिव सम्मउ समइ पत्त नब-खोय-रसु जग-गुरु पाराविउ तणु निव्वाविउ वित्थारिउ तिय-लोइ जसु ॥११
[१२]
पत्तु पत्त सव्वुत्तमु सामिउ चित्तु पवित्तु भत्ति उन्नामिउ वित्तु खोय-रसु अवसरि आविउ तिहिं मेलावउ पुन्निहिं पाविउ १ 1. P जगि 2. L हरिसु 3. P पाणपिया. 4. L पलोट्टइ 5. P जिण मइसम्मउ 6. L तहिं मेलाविउ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org