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________________ रिसह-पारण-संधि [८] तं सोमजसु महाजसु पालइ निय-कुलु गुण-गउरवि उज्जालइ तसु सेयंसु आसि जुवराउ पुत्तु 'पवित्त-कित्ति जसवाउ सुरगिरि सुमिणइ सामु सु पिक्खइ अमिय-कलसि सित्तउ सई लक्खइ । अइ अइयारि तेण सो सोभिउ विज्जुल-चक्कवालु नं थंभिउ किरण-जालु रवि-बिंबह पडियं कटरि सहइ पुणु कुमरिहिं जडियं । सिटिठ विसिटिठु' दिलृ एयारिसु सुमिणउ सोमजसिं सुणि जारिसु समरंगणि जुज्झंतह वीरह कुमरि दिन्नु साहिज्जु सुधीरह तिणि पर-पक्खु परो वि पराइउ भुवणि जेण सो चेव विराइउ घत्ता पसरह ते अक्खहि मिलिया एक्कहिं निय-सुमिणई परिसा-पुरउ परमत्थु न बुज्झहिं नरवइ पुच्छहिं सो कहेइ फल कुमरुदउ ॥८ [९] अह सेयंसु गवक्खि निसन्नउ रिसह-जिणेसरु पेक्खइ धन्नउ गयपुर-पुर-पोलिहिं पविसंतउ मुत्तिमंतु न धम्मु उविंतउ पुलइवि तं सउन्न-उत्तंसु' सुमरइ पुत्व-जाइ सेयंसु आसि विदेह-वासि हउं सारहि वइरनाह -पुहवीसहि सारहि वइरसेण-तित्थंकर-पासि वइरनाहु गच्छाहि वु आसि अहमवि साहु साहु संजायउ अह सव्वत्थ-विमाणि परायउ चविय कुमारु जाउ संपइ हउ वइरसेण-तित्थंकरु सुमर तारिसु वेस-विसेसु वहंतउ रिसहु वि तित्थ-नाहु पहु पत्तउ ।४ घत्ता निरसणु निम्मच्छरु विहरिउ वच्छरु विहराविउ केणावि न हु जइ मज्झ घरंगणि जग-चिंतामणि एइ त विहरावेमि पहु ॥९ 1. L कित्तिसार 2. P विसिट्ठि 3. L सोहिज्जु 4. L अक्खइ 5. P गिण धम्म 6. L उचिंतउ 7. L सू 8. L नाहु 9. L चविउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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