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________________ रिसह पारण- संधि एक्कहं कडय-किरिड-कचोला मरगय-मोतिय- माणिक - हीरा' गय-हय-गंधसार-घणसारहिं वियरइ अन्नहं पडिपट्टोला. पउमराय अप्पर अवरीरा के वि करेइ कत्थु सुसारहिं कसु वि कणय- कलहोय वि देइ इय मग्गण-जण सम्माणेइ 3 कच्छ - महाकच्छाइ नरिंदिहिं परिवज्जिय सावज्ज समुज्जलु चित्तह बहुलट्ठमि बत्तीस सुरदिहिं 5 कसिण कुडिल कोमल कुंतल तउ वज्जसारु चउ-मुट्ठि करेइ अंसत्थलि घोलंत ति' सामिहि' दिन्न दिक्ख-मंगलि नं मँगल कच्छाइहिं विदिक्ख पवन्नी 8 1 छट्ठ-तवुत्तमि रिसहनाहु सिद्धत्थ- वणि विहियादिहिं सेविउ संजमु लेइ खणि * विहरहिं जिण अणुमग्गिति लग्गा निव कुमार नमि-विनमि जिणिदह पोइणि-पन्न - पुडलिहिं छंटहि सहुं च सहसिहि कय- आनंदिहिं पहु चल्लिउ चितेवि त मंगल घत्ता 1. P हारा 6. P सामाहिं 11. L. जं धत्ता 3 अन्नह दिणि' आवइ महिम करावइ ममि विनमि-कुमारह वियर सारह [ ६ ] निरसणु झाणि मोणि पहु हिंडइ जणि वणि काउसग्गु थिरु कप्पइ Jain Education International [५] उप्पाडर पहु सिरह निरुतउ पंचम हरि - विन्नत्तु धरे सहहिं सिरोरुह सिवगइ-गामिहिं कंचण - कलसुप्पर नीलुप्पल जिण अणुमाणि न उण जिणि - दिन्नी' छण- चंदह जिव 11 रिक्ख- समग्गा असि कर करहिं सेव सच्छंदह 12 पुप्फ-पयरु पहु- पुरउ पयट्टहिं फणिवर जिण अग्गइ सुपरि । खयर-रज्जु वेयड्ढधरि २ For Private & Personal Use Only |३ ४ ॥४ । १ ।२ | ३ ४ ।१ निय-विहारि महि - मंडल मंडई मणिमउ थोर-थंभु जिव दिप्पइ 1 * 2. L ० सारिहिं 3. P ० कच्छाहि 4. La 5. L वउ 7. P ज 8. P. पन्न 9. P दिन्न 10. L विहरिहिं 12. P पुप्फयरु पहु-पुरओ 14. L दप्पइ 13. P दिइ 114 www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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