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[कर्ता : हेमसार
२०. उवरस-संधि
रचना-समय : ई. स. १५०० पूर्व ]
ध्रुवक दीहर-नयणो हंस-गमणि सरसइ समरे निम्मल-बुद्धीय भणिसु संधि उवएस वरे ॥१
'ससहर-सम-वयणी जिण धम्म-पसिद्धिम
रे जीव तणो गति विसम जाणि हिंडइ चउरांसी लक्ख वाणि जिम अंजलि-धारिलं गलइ नीर तिम परिअण धण जीविअ सरीर तो दुलहु लहेविणु मणु[य]-जम्मु ।। सावय-कुल करुणा-रम्म-धम्मु 'सम्मत्त-रयणु तिहुं भुवणि सार बारह वय पालहुँ निरईयार पालोजह जीवदया विसाल
भासिज्जा हासा-मिसि न आल में हु चोरी कीनइ नरय-कार पालीजइ सील अखंड-धार अति लोभ न कोजइ हिअय-सूल संतोस धरीजइ" घरम मूलु दमि इंदिअ चचल चैल-सहाव धाईजह न स्त्री-हावभाव लोपोजह न हु गुरु-वचन-लीह . बोलीजइ मधुरी वाणि जीह न वैसीजइ नट-क्टि-खूट-संगि . उवयार करीजइ विविह भगि
पत्ता नवकार सरीजइ मनि समरीजइ ."एक-झाणि अरिहंत पर सुह-गुरु पणमीनइ भाव धरीजइ . सुह-गुरु-देसण अणुसरहो" ॥११
[२]
अह हियह धरीजइ सुगुरु-वाणि अविमासिकीज न जाइ ठाणि भासिज्जइ नवि पर-मम्म'-मोस अकोस न दीजइ "माल दोस तह धरीइ मनि सम्मत्त सार पामीजइ जिम संसार-पार नवि दीण-वयण जंपिअह लोइ जीविज्जइ जां लगि जीव-लोइ ? 1. B. ससिहर 2. B. पसिद्धि बुद्धि-समिद्धी 3. B. पर 4 B. होंडइ 5. A चुरासो 6. B भो 7 A. सम्मत रयण तिहि भुवण सार 8. A वारर इ9. A पालउ निरतिचार 10. A चोरी नवि को 11 A. हिअइ मूल 12. A. गुणह मूल 13
A. तर-स. 14 A. मूकिजइ स्त्री-जन-हाव० 15. A वइसीजई 16. A. इक्क प्राण 17 A. सरउ ए 18 A. कीड 19. A. मर्म 20 A कह वि दोस 21. B ता 22. A बोलिइ लोय 23. A लगइ 24. B लोगि
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