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संधिकाव्य-समुच्चय 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना एह भंति मह चित्तह छिन्ना अन्न वि एक अस्थि संदेहू तं पि हु गोयम माझु कहेहू' ८
घत्ता तो गोयम वुच्चइ 'जं तुहु रुच्चइ तं पुच्छेह भदंत लहु' तं निमुणि महेसी पभगइ केसी विणय-धम्म पयर्डत बहु ॥९
[१२] 'बेडुलडी बहुविह पूरिज्जइ "इक तरइ इक जलइ निमज्जइ
सा बेडी कहि किम जाणोजइ जणि सायरु निच्छई लंघोजई' 'जा निच्छिद्द निरि न भरीजइ तिण बेडो जल-ससि तरीजई' पूछइ केसी तरीय-विसेसू बोलइ गोयम 'कह असेसु अकय-दुकय-जल-संगह-देह भव-जल-तरण-तरी-समु एहू आसवि भवु संवरि सिवु थाए । कंडरीक-पुंडरिकह न्याए' 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना एह भंति मह चित्तह छिन्ना अन्न वि एक अस्थि संदेहू तं पि हु गोयम माझु कहेह' ८
पत्ता तो गोयम वुच्चइ 'जं तुहु रुच्चइ तं पुच्छेह भदंत लहु' तं निसुणि महेसी पभणइ केसी विणय-धम्म पयर्डत बहु
[१३] 'अंधयार घण घोर भयंकर । गोयम पूरि रहिउ' भवणंतर "अच्छइ कोइ जु तिमिर हरेसि महि-मंडलि उज्जोम करेसि' 'ऊगिउ अबइ एकु जगि भाणू सो करिसिइ उज्जोय पहाणू" केसी भाणु मुणेवा चाहइ . तक्खणि गोयम गुरु तं "साहइ ४ 'वद्धमाण-जिण निम्मल-नाणू उदयवंतु जाणेवउ भाणू मह मणि मिच्छा-तिमिरु फुरंतउ वीर-तरणि अवहरिउ तुरंत ।' 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना एह भंति मह चित्तह छिन्ना अन्न वि एक अस्थि संदेहू
तं पि हु गोयम माझु कहेह' 1. A. पूरिज्जहिं 2 A एक तिरह 3 B. निमज्जहिं 4. B सइ 5. B सवि स० 6 B घणु 7 A ह्यउ भुव० 8. A अछइ कुइ जु तिमिर हरेस्यइ9. A करिस्यइ 10 B. भासइ
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