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संधिकाव्य-समुच्चय
पत्ता 'तो गोयम वुच्चइ 'जं तुहु रुच्चइ तं पुच्छेह भदंत लहु' तं निसुणि महेसी “पभणइ केसी विणय-धम्म पयडंत बहु ॥९
[३] चारि महावय पासि पयासिय ते इ जि पंच वीर-जिणि भासिय काजु तु एकु मुक्ख साहेवउं किणि कारणि बिहुं 'मागि वहेवउं' २ 'रिसह-कालि जिय रिजु-जड हूंता मज्झिम पुण ऋजु-पन्न महंता संपइ ते वंकुड-जड गणियइ
तिणि कारणि बिहुँ परि वय भणियइ ४ ऋजु-जड धम्म 'दुहेलउ लक्खहिं वंकुड-जड दुख-लविस्वहिं रक्खहिं मज्झिम-कालि' जीव रिजु-पन्ना "सुखि लक्वहिं मुखि रक्स्वहिं धन्ना' ६ 'साहु साहु गोयभ तुह पन्ना एह भंति मह चित्तह छिन्ना 'अन्न वि एक अस्थि संदेहू तं पि हु गोयम "माझु कहेहू' ८
घत्ता तो गोयम वुच्चइ 'जं तुह रुच्चइ तं पुच्छेह भदंत लहु' तं निसुणि महेसी पभणइ केसी विणय-धम्म पयत बहु
'एकु ''जहिच्छा-वेसु 1 वहिज्जइ अवर पमाणोपेतु हिज्जा चरण चरंतह नस्थि विसेसू
किणि कारणि किउ बिहुं परि वेसू' २ *निह तणउं मन निच्चल होई तिह" मनि वेस-विसेसु न कोई जे चल-चित्त कया-वि चलंते
ते वि हु वेस-विसेसि वलंते ४ निश्चल-मन भरहेसर-राओ।
विणु मुणि-वेसह केवलि जाओ पसनचंद जो" झाणह चलियउ
वेस विसेसु देखि सो18 वलियउ' ६ 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना
एह भंति मह चित्तह छिन्ना अन्न वि एक अत्थि संदेह
तं पि हु गोयम माझु कहेहू' ८
घत्ता तो गोयम वुच्चइ 'जं तुहु रुच्चइ तं पुग्छेह भदंत लहु' तं निसुणी महेसी पमणइ केसी विणय-धम्म पयडंत बहु ॥९
1B तं 2 B पूछइ 3 A च्यारि महव्वय 4 B मानि 5 B दोहेलइ लक्खइ 6A दुक्ख रक्खहि लक्खहि । 7A जिउ रुजु 8 B सुख रक्खिहिं 9 A अनु 10 B मज्झ 11 B. जहिइच्छा I2. A. वहीजइ 13. A. कहीजइ 14. A. जीह 15. A. तीह 16. A. केवलु 17. A.जउ 13. A. जो
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