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________________ 'गोयम सत्तु- सेणि धावंती सग्गि मच्चि पायालि वदीती 'एकि पांच पांच दस पाडिय केसि कहइ 'रिपु किसा कहीजई' 'जे कसाय इंदिय - रिउ भणियई जं मण - "विणु बहु बंध न लागई 'साहु साहु गोयम तुह अन्न वि एक अस्थि संदेहू पन्ना तो गोयम वु वइ तं निसुण मसी 'पास - बंधि " बांधिउ इह - लोगो सो तई पास बंध किम छिंदि उ 'पास - बंध मई मूलह तोडिउ 'पासु किसर' केसी इम भासइ 'मोह-पास पसरत सिणेहू मोहबद्ध " जाणंतर मूझइ 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना अन्न वि एक अस्थि संदेहू तो गोयम बुच्चइ तं निणि महेसी केसी - गोयम-संधि [4] दीस "तुम्ह भी आवंती सात एकलडइ किम जीती ' दस जिणि सेस - सत्तु निद्ध । डिय तो गोयम-गुरि ते पयडीजई "इक मनि जीतइ ते सवि जिणियई जिम बिहु भाई सुनियइ आगई' ६ एह भंति मह चित्तह छिन्ना तंपि हु गोयम माझु कहेहू' ८ घत्ता 'जं तुहु रुच्चइ पणइ केसो 'देहुब्भव विस- वेलि महंती विसमय-फल-दल- कंदल-मूली Jain Education International [६] तं पुच्छे भदंत लहु ' विजय- धम्म पयडंत बहु घत्ता 'जं तुहु रुच्चइ पभणइ केसी [ ७ ] वर - वेरग्ग- स्वग्गि छिंदेहू . 6 बंभदत्त जिम क्रिम-इन 10 बूझइ ' एह भंति मह चित्तह छिन्ना तंपि हु गोयम माझु कहेहू' दौसइ जं तु आपण 13 आपइ जु विछोडिउ' *" तर गोयम गुरु तं जि पयासइ ४ दीण निहीण स- सोगो 2 दीसइ मन " आनंदिउ २ तं पुच्छे भदंत लहु' विणय - धम्म पयडंत बहु ॥९ तिहुयण-तरु छाए "विहतो सात गोयम 1. A. सेणि 2. B. तुज्झ 3 A विदीती 4. B. पांचे 5. 7. A. भाइय 8. A. वधउ यहु 9. B. हीण 10. B छेदिउ 11 13. Bजि 14. B. तु 15. B जाणंत न मू० 16. B सूझइ A. केम 19. B. उम्मूलीय ८५ For Private & Personal Use Only किम 19 ऊमूली' २ ४ ॥९ B. इकि 6. A. विहु B तुम्ह 12 B मनि 17. A विरहती 18. ८ २ www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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