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नहस सत्थे वि ने नियाणु वन्निज्जए तेण केणावि रोगेण हउं पीडिओ एह समु अवरु इह रोगु न सुणिज्जए देसु उवएस अवणेसु रोगं इमं भणइ जिणु 'सुमइ - नामं तु सुह-संभवं • जासु संगेण रोगस्स जणओ वि सो " इह अनु विज उवइट्टु मन्निउ तयं सयल-सयणेहिं किउ वर - विवाहसो
संधिकाव्य-समुच्चय
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अह तेण अनाणिण कुमइ - पमाणिण बहु सुमइ-पसंगहिं
भविणु रंगिि
मह कुमइ नाइ निय-ताय- मूलि 'हउं भविय छिड्डिय गुण- पभूय तसु वयणि रोस घमघमिउ मोहु इत्थीजणु सयल - विरोह-कंदु तिय लोयह कंटग जग - विखाय महिला जण - कारणि ते विट्ठ 'अरि कवणु सु भणियइ वोयराउ अरि नत्थि कोवि किं सुहडु मज्झु पीसंतु दंतु पिक्खेवि मोहु 'मह' नौवमाणि तु कवणु सत् माणेण सहिउ जंपेइ माणु बाहुबलि भिउ मई पमत्त मायाविय माया वि पभणेइ साहम्मिउ एse मल्लि-मामि
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विविह-विज्जेहिं जसु नामु न मुञ्जिए तुझ सरणम्मि संपत्तु दुह-मीडिओ २२ विज्जु अणवज्जु न य तुझ समु विज्जए मा विलंबे विरए पहु उवकर्म' २४ भविय परिणेसु त मज्झ अंगुब्भवं भवए मोहु नवि सप्पु निम निव्विसो' २६ परिणए भविउ सुमहं तु गुणवंतयं हुअउ पुरि सयलि तहिं घवल - मंगल- रखो २८
घत्ता
जिम जिम पुग्विहिं पावु कियं करइ सव्वु विवरीउ तयं ॥ २९
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रोयंत भणइ जिम हुय तिसूलि तिण वीयराय व वरिय धूय' हु सय-सहा जण माहि खोहु इणि कारणि पभणइ जिणवरिंदु बलवंत वि रावण-पमुह-राय तह इह पर लोइय- सुक्ख-भट्ठ म हुई हुउ जो वंयराउ जो कई अंतु तसु करिवि जुज्झु' उट्ठे व जंपइ कोह- जो हु जिणि वित्तु नरगि मई बंभदत्तु' 'संभलि मूं सामी व पमाणु वरिसंतु जाव तिम उड्ढ-गत्तु' 'सो कवणु अस्थि जो मई जिणेइ महिलत्तण आणि मई स-ठामि' १४
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1. B. म 2. B इ... अभु 3. B. कुमए 4. अंत: A. सप्तमोधिकारः ॥ B. ॥ इति भव्यजीवकृत वीतराग स्तव - सुबुद्धि - पाणिग्रह्णो नाम सप्तमोऽधिकारः ॥ 5 B नियव वरीय 6 B. हुउ
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