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अंतरंग-संधि
'कुल-गनणकर जाएसु तेम इह दु न आविसि वलिय जेम' 'मरि रासह-मुहि नीसरि अवेहु हिव होसिइ आवागमण-छेहु' २८
घत्ता इय सोगिहिं दुत्थिय बहु गल-हस्थिय संपत्तउ जिण-पुरि भविउ । पडिहारि-विवेगिहिं जिण-निवु वेगिहिं भिट्टाविउ संथुणइ तउ ॥२९'
'दसहिं दिलैंत-जोएहिं तं सामिउ देव सुह-कम्म उवएसि मइं पामिउ सरणपत्ताण सत्ताण ताणण-परो तुज्झ विणु नत्थि भुवणम्मि जिणवर परो २ पयड-दोहेण मोहेण संताविमओ नासिविणु तुज्झ सरणम्मि हउँ आविओ देव ताएसु पाएसु पडियं नणं कुणः पहु मोह-भड-दप्पभर-भंजणं ४ नाह निन्नाहु मोहेण हंउ लद्धओ निविड-घण-कम्म-बंधेण अह बद्धमओ जति घल्लेवि तिल-रासि जिम पिल्लिओ निरय-नामम्मि मह गुत्तिहरि घल्लिओ ६ संति जहिं विउल अइ-धीर-अंधारया सत्त धम्माइ संतत्त वक्खारया । तउ य अइ-उन्ह-रस-भरिय-कुंभीसु हं खिविउ विलवतु तहिं हिट्ठ-मुहु अइ' दहं । तिक्स्वतर-सुलिया-उवरि आरोविओ मंस-भक्स्वीहिं पक्खीहिं रोविओ चुन्न जिम कठिण-सिल-घट्टि हउं वट्टि मओ दीण-मुहु वच्छ जिम कप्पणी-कट्टिो १० छुहिउ पभणंतु निय-मंसु खायाविओ नीरु मग्गंतु निय-रुहिरु पीयाविओ . सहिउ जं दुक्खु मई सामि तहिं ठाणए तं च सव्वन्नु तउं सयलमवि जाणए १२ खिविउ अह तिरिय-गइ-नामि कारालए जत्थ वह-बंध-दुह कोवि न हु टालए .. पिद्वि-खंधेहिं जहिं भार-भर-वहणयं तिन्ह-छुह-ताव-सीयाइ-दुइ-सहणयं १४ अह कुदेवत्त-रूवम्मि गुत्तोहरे खित्तु तहिं पत्तु अवमाणु पय-पय-भरे कढिण-वर्यणेडिं सुर-वग्गि हां हक्किओ भणवि चंडालु निय-नयर बाहिरि किमओ १६ गुत्तिहरि खिविउ कुनरत्त-गइ-नामए जत्थ न कयावि जिउ किमवि सुहु पामए:तत्थ सोवाग-तेणाइ-जाईसु हुं फेरिओ तेण मोहेण विनडिओ बहुं १८ 'कुटू-जर-खास-घण-सोस-कट्ठोसरा कन्न-नह-मूल-वण वायवा ओभरा एवमाइउ वाही उ बहु-जाइया तत्थ दुढेण तिणि मज्झु उप्पाइया २० 1 अंत:-A. षष्ठोधिकारः ॥ B. इति कुबुद्धि-भव्यजीव-विवादो नाम षष्टोधिकारः ॥ हं 3. B. तहं 4. B. अनइ 5. B. दुट्ट 6. B. मास कहोरया
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