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७८.
संधिकाव्य-समुच्चय
'मई विलबमाण मिल्हवि अणाह कहिं वच्चसि भण 'तं पाणनाह' 'म म करि असउणु रे रे कुभदि इणि अप्पणि रासह-तुल्ल-सद्दि'
२ 'मई किद्धउ सामी कवणु दोसु जिणि फुरिउ तुम्ह एवडु पओसु' 'तुह दूसण गणियई कित्तियाई जिम घण-तिल-बट्टिहिं कालयाई' ४ 'सवि दोस खमावउ पडिय पाइ पाणेसर रुदउ पुणु म जाई' 'मागइ करि लग्गीई तई विगुत्तु हिव होइसु न हु एगि निगड-जुत्तु' ६ 'ह आविसु सरिसी करण-विट्ठि वसणे वि न छडिसु तुम्ह पिट्टि' 'तई ताविउ मह मणु हियइ लग्गि हिव पिढि म जालिसि पयड-अग्गि' ८. 'खणमवि न हु जीविसु तुह विहीण जल-हीण जेम जलहीण मीण' । 'तिणि दिवसि फलिय मह सयल पुन्न संभलिसु जत्थ ह तइं विवन्न' १० 'मइं कियउ कवणु अवराहु नाह तुम्हि भणउ जेण इत्तिय विदाह' . 'तई दुट्ठि विगोइउ बहु-विसाउ ह जिम धुलहडिय तणउ राउ' १२. 'विय-सयण-सक्खि परिणिय ज इस्थि तसु छड्डणु कहिउ कवणि सत्थि' 'छड्डीयइ नारि संजुय कलंकि पिउवणह घडी जिम मणि असंकि १४ 'परिहरिय सीय लोआवसद्दि घण-पच्छयावु कि उ रामभद्दि' . 'सा भासि अदूसण दिन्धि सुद्ध तउं पुण बहु-दूसण अइ-कुमुद्ध' - १६ 'हउं निक्कलंक मणि सुद्ध देव जं भणसि दिव्वु' तं करउं हेव' 'त उ सुद्धि होइ तुह दुट्ठ नारि जइ पविसइ झाणानल-मझारि' - १८ 'किं मुअउ मोहु महु ताउ तेउ जिणि मुज्झ कराविसि दिव्वु एउ'.. 'जीवंत 31°वे सो मुयउ जाणि जसु कुलि उत्पन्नी तउं कुनाणि' २० 'बह एहु वयणु सुणिसिइ सु मोहु तउ करिसिइ तुह पाणहं विछोहु' 'जाएवि लवसु निय-पियर-पासि इह पुणु पुणु म लविसि दु'दासि' २२ 'निच्छई परिवटि उ"तुह सहाउ तिणि मन्नउं भाविउ नियडु आउ' 'आउ ति-लाहु पणिउ सुमम्मि सो मज्झ नियड हिव तुह वयम्मि' २४ 'निदइ अनु निम्ममु महमु लोह तुह सरिसउ दिदउ मई न कोई' . 'इह मे डे म मंडिपि रंडि' चंडि तुह होप्तिइ नासा-कन्न-खंडि' 1.-B. तुं 2 B. छडिसु 3. A. धूलहडीय 4 B. कहि ५. B. असंखि 6. B. दिवि 7.B. दिव 8 A. तन्तु करा. 9. B. दिवु 10. B. विस्सासुय जाणि 1 B. सि टूट्ठ I2. B. .बढिउ
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