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मेरुसुन्दरगणि-विरचित जे मदोन्मत्त हस्तीना गण-समूह जेणइ निर्दल्या छई, एहवा जे सिंह, तेहना पराक्रम, तेहनइ मथणहार, एहवा पुरुष घणाइ दीसइं, पणि मदनकंदर्प, तेहना जे शर-बाण, तेहनउ प्रसर=प्रस्ताव हुइ जि वारइ, मदन-कंदर्पना वाण विछूटइं, तीणो वेलाइ जे पौरषपणउं धरई, शो-सन्नाह पहिरी आजित अगजोता ऊभा रहई, एहवा पुरुष केई विरलाइ जि छइं, श्रीथूलिभद्र-सरीखा ॥१५॥
वली जे पुरुष संसार-माहि महा सुभट कहवराई, ते पणि रागना वाह्या स्त्रीनउं दासपणउं करई
जे नामंति न सोस कस्स वि भुवणे वि ते महा-सुहडा ।
रागंधा गलिय-बला रुलंति महिलाण चरण-तले ॥१६ व्याख्या:- त्रैलोक्य-माहि जे किहिनइ आपणउं मस्तक नमावइ नही, ते ही महा सुभट
रागि करी अंध, गलित-गलिउं जेहनउं बल' छइ, ते हा कंदर्पना वस-लगइ स्त्री.. तेहना पग-तलइ रुलइलाटोकगणा करइ, वली दीणपणउं बोलइ ॥१६॥
वली विशेष कहइ -
सक्को वि नेय खडइ माहप्प-मडफरं जए जेसिं । - ते वि नरा नारीहिं कराविया नियय-दासत्तं ॥१७
व्याख्या:-जेह पुरुषनउ महातम्य मडप्फर स्फूर्ति-लगी जे गर्व, जग=संसार-माहि शक्र इंट हु खांडी न सकइ, तु बीजा मनुष्य देवनी केही वात?-एहवाइ सुभट नारी-स्त्रीए आपणउं दासपणउं कराव्या ॥१७॥ हिव ते-ऊपरि भुवनानंदाराणी-रिपुमर्दनराजानु दृष्टांत कहीइ -
[५. स्त्रीना दासपणा-ऊपरि रिपुमर्दन-राजानु दृष्टांत ] ईणइ भरतक्षेत्रि सुखावासि नगरि रिपुमर्दन राजा राज्य करइ । तेहनउ प्रधान बुद्धिसागर । तेहनी प्रिया रतिसुंदरी जाणिवी। हिव तेहना घर-हंतउ पूर्व-दिसिइ देवताना विमान-सरीख श्रीआदिनाथनउ प्रासाद । तेहनइ द्वारि सहकार वृक्ष छ। तिहां सूडा-सूडीनउ युग्म एक वसइ । अन्यदा सूडीइ पुत्र जायउ । तिणि जन्मि सूडउ-सूडो महांत आनंद पामतां आपणउ जन्म राजाना जन्म-पाहई अधिक मानवा लागा। अनेरह दिवसि सूडउ अनेरी सूडी-संघाति आसक्त हउ जाणी, ते पुत्रनी माता सूडी सूडानइ मालइ आविवा न दिइ, इसिउं कहा, 'जिहां ताहरि विचारि आवइ, तिहां तू जाइ। पछइ सूउ कहइ, 'माहरउ पुत्र आपि, जिम हूं जाउं।" तिवारइ सुडी कहइ, 'एक आगइ अन्याय करइ, वली बेटउ पणि मागइ ?'| इम झगडउ करतां घणा दिन गया। पछ। कीर-युग्मि राजानी सभाइ जई कहिउं जु, 'स्वामिन् ! अम्हारउ विवाद' भांज" इसिउ कही आपणउ आपणउ वृत्तांत कहिउ । तिवारई जे प्रधान छइ, तीणे कहिउं जउ, 'स्वामी! बेटी मानी, बेटउ बापनउ ।' एहवउ न्याय करी सूडानइ पुत्र अपाविउ । सूडी निरास रोती हती कहिवा लागी, 'राजन ! तइ तउ ए. विवाद इम भांजिउ, पणि रूडउं न कीधउं । हिव ए न्याय तुम्हे वहीइ लिखावउ, जउ, आज पछी बेटउ बापनउ, अनइ बेटी मानी' । पछइ राजाइ वहीइ ए न्याय लिखाविउ ।
१. P. बल पराक्रम. २. L. महिला स्त्रीना. ३. P. लोटीगणा. ४. P. दासपणे किंकरपणउं कराव्यउं. ५. A. L. पाइ. ६. P. झगडउ
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