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शीलोपदेशमाला-बालावबोध हिवइ समग्र गुणे सहित पुरुष शील-पाखइ शोभइ नहीं ते कहइ - देवो गुरू य धम्मो वयं तवं गुत्तिमवणिनाहो वि ।
पुरिसो नारी वि सया सील-पवित्ताई अग्छति ॥५।। व्याख्या-देव कहीइ शासननउ कारक; गुरु=धर्माचार्य; धर्म दयारूप; व्रत दीक्षारूप: तप बाह्य अभ्यंतर बार भेदे; गुप्ति-मन-वचन कायन राखिवउं; अवनिनाथ नरेंद्र; 'अपि' शब्दइ तु द्रमक भीखारी धर्माधार' पुरुष, नारी स्त्री सदा निरंतरशीलन प्रमाणिई-अर्थीइ: शीलिई पवित्रित हंतां गौरवपणु पामई, मोक्षनइ योग्य थाई ॥५ शील पालतां महा दुष्कर तेह-भणी बिहुँ गाथाए* करी कहइ - दायारसिरोमणिणो के के न हुया जयम्मि सप्पुरिसा । के के न संति किं पुण थोव च्चिय धरियसीलभरा ॥६ छट्ठमदसमाइं तवमाणा वि हु अईव उग्गतव । अक्खलिय-सील-विमला जयम्मि विरला महामुणिणो ॥७
व्याख्या-ए जग-त्रय-माहि दातार-शिरोमणि कउण कउण सत्पुरुष नथी हुआ ? जीमूतवाहन-सरीखा अपि तु घणाइ कर्णादिक हुआ। वली कउण कउण दातार नथी जे कृपा-लगइ आपण जीवितव्य तुलानइ विषइ तोलइ ? जिम श्रीशांतिनाथनई जीविई वज्रकुमारिइं पारेवउ राखिउ, इम अनेक अभयदान देवानई दातार दीसई छई । अनइ वली कउण दातार नहीं हुई? पणि शोलवतना धरणहार पुरुष जग-त्रय-माहि थोडिला' जि दीसई, जिणि कारणि सर्व व्रत-माहि शीलबत मुख्य ॥६॥
लट्रम०- छह अट्ठम दसमादि, पक्ष-क्षपण मास-क्षपणादि महांत उग्र तपना करणहार घणाहदीसइं, पणि अस्खलित शील-अखंड ब्रह्मवतना पालणहार विरला जि जयवंता दीस इं । जिणि कारणि सिद्धांतिइं इम कहिउं -
अक्खाणसणी कम्माण मोहणी तह वयाण बंभवयं । गुत्तीण य मण-गुत्ती चउरो दुक्खेण जिप्पंति ॥१
इम शीलवत दोहिलङ छइ, उपकोशाना परि वसणहार महात्मानी परिई । जिम महात्माई सालदेशि जई रत्न-कंबल स्त्रीनइ वचनि-आणिउ इत्यादि घणाइ दृष्टांत जिनशासनि छह ॥७॥ वली एह जि शील-ऊपरि लौकिक ऋषिना दृष्टांत देखाडतु कहइ
जं लोए चि सुणिज्जइ निय-तव-माहप्प-रंजिय-जया वि । दीवायण-विस्सामित्त-पमुह-मुणिणो वि पब्भट्टा ॥८
व्याख्या --जे लोक-माहि इसिउं सांभलीइ जे आपणा तपनइ महात्म्यइ करी जगत्रय रंजवी होला विश्वामित्र ऋषि प्रमुख पारासरादि पर-सासनि एवडा ऋषि हुआ. ते पणि स्त्रीना बार भाव, कटाक्षक्षेप, वचन, शंगार देखी शील-हंता भ्रष्ट थया । पणि ते ऋषि केहवा छडं १ सकर सेवाल, सूकां पलासनां पत्र, कंद, मूल भक्षण करता छई। एहवा ऋषि शील-हता चूका ॥८॥
हिवइं इहां ते ऋषिनी कथा कहीइ - F धारी. २. P. गाहई. A. गाहे ३. P. नही. ४. P. ताकडिइ. ५. A. तोलीइ. ६. K. थोडाइ. ७. APL. रइणहार. ८. K. महिमाई ९. 'पर-सासनि...देखी' पाठ A. मां नथी.
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