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________________ भूमिका जेहन बोज, तेह जि धणी. जां ए स्त्री-रत्न ताहरइ घरि नही, तां ताहरउ जन्म फोकट. ते प्रदेश नही, ते स्थानक नही, जिहां कोई न देखइ.. तु हूं, जउ एहनइ शील-हूंसउ पाड. अन्य उदाहरणो बिहुनइ डील-इ जूजूआं, पणि जीव एक जि. पणि तुम्हारइ गांगेय पुत्र. सत्यवतीना पुत्रनई राज्य. तेह-भणी माहरउ मन नही. तेहनइ आऊखउ थोडउ. जउ जोइ, तु न ते खांड, न ते स्त्री. ३१. केटलाक रूढिप्रयोगो : घण किसि. १ 'वधु शु' कहीए ?' 'किं बहुना." हिव स्यू चालइ ? 'हवे शुं वळे ?' मई सिउ चालइ ? 'माराथी शुवळे ?? वाहरइ चडया 'युद्धमां मददे आव्या', 'वारे चडया' तु इम जाण 'तो मने एम लागे छे-थाय छे...' इम जाणीइ 'जाणे के...' जाणइ छइ जु ... (एमने) एम थाय छे के...' जिम मेलीइ आवइ 'जे रीते मेळ पडे...' जे एवडा इ मान-अहंकारना धणी '...मान-अहंकार धरनारा' वार नही लागइ 'वार नही लागे' आपणपानई एहवर अधम कर्म करिवा नावइ'...करवुन घटे' बालक प्रसविइ, इहां रहिवउ नावइ '...रहेवु न घटे'. बारणा देई मुक्या 'बारणां बंध करी राख्या'. तेहनइ हाथि भद्रा वेची. 'तेनी मारफत ...' केहनइ घरि जई रही घटइ 'कोई ने घरे जईने रही होवान संभवे छे'. ए अंजनासुंदरीनउ पुत्र तेहनु नाम घटइ. सर्पइ खाधउ 'सर्प करडयो', 'एरू आभडयो'. जीविवउ वांछइ 'जीववा इच्छे छे'. तुझनइ किसिउं वीसरि ? 'तने शुभुलाइ गयु ?' अंजनानइ तृषा बुभुक्षा वीसरी गई. राखिउ इ रहइ नही 'राख्यो तो ये रहे नहीं'. हिवइ ईणइ अधिकारि सरि 'हवे आ अधिकार बस थयो'. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002655
Book TitleSilopadesamala Balavbodh
Original Sutra AuthorMerusundar Gani
AuthorH C Bhayani, R M Shah, Gitaben
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size14 MB
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