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भूमिका २७. पूर्ववर्ती -नउ अनुग वाळा के तेव' बीजा पूर्ववर्ती वर्धक वाळा नामने अनुग सीधो नथी लागतो, पण तेना निर्देश करता दर्शक सर्वनामने लागे छे. जेम के
चंद्रगतिनउ पुत्र भामंडल, तेहनइ रूप देखाडिउ. सावध व्यापारना योग, तेहनउ वर्जन. आपणु मित्र अभयकुमार, तेहनइ मिली आवउ. राजा मृगनु आहेडउ, तेहनइ विषइ रसिक हूंतउ. जनु नाम विद्याधर, तेहनी हु बेटी.. गुरुनु पुत्र पर्वतक, तेहनइ मिलवा-भणी आविउ आपणी चंद्रमती प्रिया, तेहनह वधराविउ. दक्षबुद्धिना लक्षण, तिणि करी विराजमान. लक्ष्मी श्रेष्ठिनी पुत्री, तेहनउ रूप देखी... विक्रमराजानउ पुत्र धन, तेहन ए रूप. परमेश्वरनी प्रतिमा, ते पणि चडावी. ते पद्मना मित्र कुटुंबी, तीणे प्रधाननई घणउ कहिउ. माहरी पुत्री चंद्रवती, तेहनइ बहिन हुअइ. माहरा पुत्र महेश्वरदत्त, तेहनइ हेति.... चंद्रयश राजाना जण, तीणे झालिउ. वीतरागनी प्रतिमा, तेहनइ पूजी... ए अंजनासंदरीनउ पुत्र, तेहन नाम घटइ. आपणउ पति खर राक्षस, ते-कन्हलि..... ऋषिदत्त मंत्र, तेहनइ योगि...
आ रचनाओं मूळ तो 'जे...ते' वाळी रचनाओ छे, जेमांथी 'जे' अनुक्त रह्यो छे. जे ते वाळी रचनाओ पण मळे छे :
हिवइ जे रामलक्ष्मण, तेह इ शीतानइ लेई आपणइ नगरि आव्या. आपणु पिता जे बुद्धिसागर, तेहनइ कहइ. जे तपस्वो शील-सहेत, तेहनउ कारण कहइ. जे सुसाधु चारित्रीया, तेहनइ..... जे लेकीक देवता, तेहनो विडंबना कहइ. जे स्नेह, ते जाइ नही.
२८. पूर्ववर्ती गौण वाक्यमांनु विशेषनाम, उत्तरवर्ती मुख्य वाक्यमा पण सर्वनामयी निर्दिष्ट न थतां पुनरावर्तित थयु छ :
जक्खाइं जेतलइ एक वार सांभल्या, तेतलइ जक्खाई राजा देखतां पाठ दीधउ. जु महात्मा-कन्हलि आवइ, तु अजी ते महातमा काउसग्गि दीठ उ. हिव बुद्धिदास सुभद्रा-सहित सुखिइ युगलीयानी परिइं सुख अनुभवतां अन्यदा बुद्धिदास चीतवइ.
२९. थोडीक संकुल रचनाओनां नोंधपात्र उदाहरण : एहवाइ पाडोसी, जेहनर मनुष्य हणिउ हूतउ, ते जउ जागइ तु मनुष्य मारिउ
देखी कोलाहल कीधउ.
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