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शीलोपदेशमाला-बालावबोध इम जेतलइ देवानी मनसा कीधी तेतलइ..
जेतलइ जिमवा बइठउ तेतलइ.... जिम -तिम रीतिवाचक होवा उपगंत केटलोक रचनाओमां जिम नो 'जेथी' अने तिमनो तेथी' अर्थ थाय छे. अहीं 'जेथी' एटले 'जेथी करीने', 'जेने परिणामे'. अने ते ज प्रमाणे 'तेथी'. उदाहरणो :
माहरउ पुत्र आपि, जिम हूं जाउं. तु सखीनइ जगाडि, जिम पम तलांसइ. तिम किमइ वर्णव्या जिम.., तिम देखाडि जिम ते कामात हूउ.
तिम किमइ राजा वीधिउ जिम...., तिम व्यवसाय मंडाविउ, जिम....धनवंत हउ. जउ-तउ (ज-त) ( 'जो-तो' ना अर्थमां अने 'पारे-त्यारे'ना अर्थमां). केटलाक नोंध-पात्र प्रयोगो :
जु जीव जायउ, तु मरण छइ. भार दर्शाववा तु वाळु वाक्य पहेलां मुकाय छे :
गर्व तु भाजइ, जउ बोजी सउकि हुइ. हूं तु स्त्री, जु एक वार.... शील तु पलइ, जउ नारी-सु संसर्ग वजइ.
तु माहरी प्रीतिनु प्रमाण, जु एहनइ प्रतिबोध. 'ज्यारे-त्यारे' के 'जेवो-तेवो' (तात्कालिकतावाचक'ना अर्थमां:
जउ जागइ, तु मनुष्य मारिउ देखी.... जउ अतिक्रम्या, तु.... जु महात्मा-कन्हलि आवड, तु....महातमा काउसग्गि जि दीठउ.
जु पहुचइ, तु....देखी आ ज प्रमाणे जे-ते अने जां-तां (= 'ज्यां सुधी-त्यां सुधी') वाळां वाक्योनो क्रम भार मूकवा उलटावाय छ :
यति ते कहीइ, जे संकटि पडया सील राखइ. ते नउ सिउ प्रमाण, जे... संबंधी नइ चमत्कार न ऊपजावइ. हिवइ तूं ते उपाय चीतवि, जे... माहरइ घरि तां मावसि, जां ताहरइ ... पुत्र हूउ न हुइ.
एक हूँ अभागीउ छउ, जे विषयनउ वाहिउ चारित्र न लि. जां-तां 'ज्यां सुधी-त्यां सुधी' ना अर्थमां वपराय छे. जां लागइ-तां लगइ पण मळे छे. 'ज्यारे-त्यारे' माटे जहीइं-तहीइं, अने क्वचित जिवारइ-तिवारइ छे. यदा कालि पण एकाद वार 'ज्यारे' ना अर्थमां वपरायु छे.
गौण वाक्यना निर्देशक सामान्य रीते जु (जउ), क्वचित् जे के कि :
पूछिउ हूंतजउ ...जउ तू एहवी वाचा दिइ जे.., वली इंद्रि वन लेई कहिउ कि... काई (प्रश्नार्थ) 'कारण के', केम के :
अश्व लेवा नही दिउं, काइ, जेहन बोज तेहनी वस्तु.
नमिइ पणि विनयप्रतिपत्ति कीधी, कांई... बे विकल्प दर्शाववा कई-कई :
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