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भूमिका
९. समस्त क्रियापदो
पोताना मूळ अर्थमां नहीं, पण कशाक गौण अर्थमां, अन्य आख्यातिक धातुना संबंधक भूत कृदंत, सामान्य कृदंत वगेरे जेवां रूपो साथै मुख्य क्रियापद तरीके वपराता क्रियापदो वाळी ( अर्वाचीन भारतीय भाषाओना वर्तमान स्वरूपमा घणी जाणीती ) रूढार्थ रचनाओ शी० बा • मां गणनापात्र संख्यामां मळे छे :
लागू : करिया लागउ अने ए ज प्रमाणे धरिखा, कहिवा, चालिवा, पूछिवा, मानिया, लीजिवा, जावा वगेरे साथ लाग्
मांडू : करिना मांडी, कहिवर मांडिउ.
दे : करिव दिइ (अने ए ज प्रमाणे राखित्रा, मरिवा, आविवा, जावा, लेवा वगेरे साथे), वहिची दीधउ.
मूं बांधी मूंकि, भरी मूकिड, बारणां देई मूक्यां, सोखवी मूकी छइ, राखी मूकी, घाती मूकिड.
जा : लेइ गया, करावी जाइ, नीकली गयउ, नासी गयउ, वीसरी गयउ . आव् : मिली आवड, लेइ आविउ, पूछी आवड, जोई आवीई.
ऊठ्र : हणवा ऊठया.
बइठू : रोवा बइठी.
रहू : करत रहइ (=कर्या करे ), रोतउ जि रहइ (= शेयां ज करे ), सुई रहिउ . छांडू : मूंकी छांडिउ.
आ ज संदर्भमां मुख्य क्रियापदना संबंधक भूतकृदंतनी साथे कर् ना भूतकृदंतना ( संलग्न इतर क्रियार्थना सूचक) प्रयोगनां उदाहरण नोंधीए :
हसी करी, ऊठी करी, जाणी करी, लेई करी, विमासी
करो.
लहू ने पाम् धातुओ अन्य क्रियापदना सामान्य कृदंत साथे शकवु ना अर्थमां वपराय छे ए पण अहीं ज नोंधी लईए :
पइसिवा न लहइ, आवित्रा न लहइ, ते लेवा लहइ, जावा लहिसिउ.
१० सहायक क्रियापद
हू ने था बने सहायक क्रियापद तरीके वपराया छे. हूनो प्रयोग वधु प्रमाणमां थयो छे, अने हिंदोनी जेम ते थाना अर्थमां पण वारंवार करायो छे. नीचेन वाक्योमां हू बने अर्थमां एक साथे वपरायो छे :
नहीतरि मरण हूउ न हूत, पुत्र हूइ न हुई, नहुतउ हूउ.
११. संयुक्त काळनां रूप
पामउ छउ
आवउं छडं
रहइ छइ
बोलइ छ
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भमउ छउ
आविउ हूं त
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मोकलिउ छइ
आणी छउ
दीधी छन् मूकिउ छड़ गया छइ
मेल्ही हुसिइ
पडया हूँता
कहि हू
देता हूँता, सांभली हूंती, सूती हूंती नहूत मूंकत
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