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शीलोपदेशमाला बालावबोध
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कांइ १ सुवर्ण ते कहीइ, जे ज्वलन = वैश्वानर-माहि घतिउं हूंतउ विमलतर = चोख उं नीकलइ | सोनउ जिम जिम अग्नि-माहि घातीइ, तिम तिम चोखउ नीसरइ । तिम सती ते कहीइ, जे संकटि पडयां शील राखइ । हिवs असतीन
स्वरूप कहइ
निय - सत्त- वज्जियाओ पावाउ नराण दूसणं दिति । किं काहामो अम्हे निराला जेणिमे पुरिसा ||१०७ व्याख्या: – निज= आपणई सत्विदं विवर्जित= शील- दृढिमा - रहित हूंती ए पापिणी स्त्री, नर= पुरुष इ इसिउं दूषण दिइ कि, 'सिउ' करउ ? अम्हे तु अबला स्त्री मात्र अनइ ए पुरुष तउ स्वच्छंद, लंपट, निरर्गल हूंता आवी आवी उद्वेग करई । ए- आगलि किमहि न छूटीइ । ए सर्व पुरुषजि-नु दोष, अम्हारउ दोष कांई नहीं ।'
अथ शीता - महासतीनउ दृष्टांत पूर्वक कहइ
तिहुअण-पहुणा विहु रावणेण जीसे न रोममित्तं पि । संचालिय नं तीए चरिअं चित्तं ति सीआए || १०८
व्याख्याः - अनेरा सामान्य पुरुषनउ सिउँ कहिवड १ पणि जे त्रिभुवननउ स्वामी, महा-रूपवंत कंदर्पावतार, एवउ जे लंकानड अधिपति रावण, तीणइ अनेक महा-हावभाव, दीनहीन ववने स्नेह-होभ- भयादिक घणा प्रकार कीघा, पणि ते शीता महासतीनउं रोममात्र रावणिइ चलावी न सकिउ । तु जे एहवी हुइ, ते महासती कहीइ । हिवs ते महासतीना चरित्र कुण देव - मनुष्यमहर्षिनइ आश्चर्य न ऊपजावइ ? किंतु नाम मात्र सांभलता सत्रलाई मनि आश्चर्यरूप चमत्कार ऊपजइ । एतलइ गाहानउ अर्थ हूउ । विस्तरार्थ कथा-हूंतु जाणिवउ ।
हिव शीतानी कथा कहीइ
[ ४२. सीतानी कथा ]
मिथिलानगरी जनकराजा राज करइ । तेहनी भार्या विदेहा राणी । तिणि अन्यदा पुत्रपुत्र नउं युगल प्रसविउँ । तलई कर्मना योग-लगी पूर्व वयर चींतवी, देवताई पुत्र अपहरिउ, पछइ वैताढ्य पर्वत ऊपरि आणी मूकिउ | एहवइ दक्षिण- श्रेणिइं रथनूपुरनगरनउ अधिपति चंद्रगति' आविड हूंत, तीणइ ते बालक लेई, पुत्र करी, आपणी चंद्रमती प्रिया तेहनइ देई वघराविउ । पछइ भामंडल एवडं नाम दीघडं । हिवइ पाछलि जनकराजा - विदेहाराणीइं पुत्रनउ अपहरण जाणी, घणी असमाधि नइ घणी शोचा करी रह्या । पछइ माता-पिता पुत्रीनउ मुख देखी शीतल थया । तेह-भणी शीता एहवउं नाम दीघउं । पणि पुत्रनउं अपहरण देखी बीहता हूंता ते शीता-पुत्रीनई भुज लोटाss | इणि कारणि ए शीतानहं बीजउ नाम भूमिसुता एवउं हूउं । ते शीता उडद मउडइ वाघती यौवनावस्थाइं आवी । तिवारई जनकपितानइ वरनी चिंता ऊपनी । इसिइ म्लेच्छ - राजाई ते जनक - राजानउ देत घणउ लीघउ । पणि जनक पुहची न सकइ ।
हिवइ अयोध्या नगरीइ राजा दशरथ रराज करइ । कोशला (१), बीजी सुमित्रा (२), त्रीजी कैकेयी (३). चउथी ए च्यारि पुत्र जाणिवा - राम (१) रहद्द छन् ।
लक्ष्मण ( २ ), भरत ( ३
१. C. चंडगुति । २. C. वधारविउ । ३. C. सुभद्रा ।
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तेहनी ए च्यारइ वल्लभा जाणिवी - एक सुप्रभा (४) । तेहनइ अनुक्रमिइ वली ), शत्रुध्न ( ४ ) - इत्यादि सहित सुखिइ
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