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शीलोपदेशमाला - बालावबोध
हिवइ पवनंजय राजा राज्य पालइ | अंजनासुंदरी पटराणी कीधी । सुखिई आपणा धर्म साधइं छ्दं । इसिइ हनूमंत पुत्र मोटउ हूउ । ऊदार्य - धीर्य गांभीर्यादि गुणे करी विख्यात उ । इसिइ श्रीमुनिसुव्रतनइ तीथि कोई आचार्य विहार करता तीणइ नगरि आया | राजा पवनंजय वांदिवा आविउ, अंजनासुन्दरी - सहित । तिसिइ गुरे भव- निस्तारक धर्मोपदेश दीघउ । तिहां अंजना दरी प्रतिबूझी हुंती पवनंजयनइ कहइ जु, 'मुझनइ दीक्षा लेवा दिउ ।' पणि पवनंजय प्रियानु स्नेह 'परिहरी न सकइ, तेह-भणी आदेस न दिइ । तु ही अंजना न रहइ । पछइ अति आग्रह अंजनानउ जाणी हनुमंतनइ राज दीघउं । आपणी प्रिया सहित सुगुरु-समीपि दीक्षा लीधी । बेहूं निरतोचार चारित्र पाली देवलोक पहुता । क्रमिइ मोक्ष जासिई ।
इति श्री अंजनासुंदरी कथा ||६२ ||
हिवs श्रीनर्मदानी कथा कहीइ
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[ २७. नर्मदा सुंदरी -
-कथा ]
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एह जि जंबूद्वीप-माहि वर्धमानपुर नगर । तिहां संप्रति राजा राज्य करइ । तीणइ नगरि ऋषभसेन सार्थवाह वसइ । तेहनी भार्या वीरमती । तेहनइ चि पुत्र- एक सहदेव, बीजउ वीरदास । अनइ ऋषिदत्ता एहवइ नामि पुत्री महा रूपवती । यौवनावस्थाइ आवी तेतलइ घणा-इ महर्द्धिक व्यवहारीया मागई, पणि श्रेष्ठ मिथ्यात्वीनइ नाइ । इसिs महर्द्धिक रुद्रदत्त नामि वणिग-पुत्र वाणिज्य- हेति रूपचंदपुर-हुतउ तीणइ नगरि आविउ । पणि ते कुबेरदत्त मित्रन घरि आवी ऊतरिउ | अनेक व्यवसाय करइ । आपणा घरनी रीति तिहां रहइ ।
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अन्यदा ऋषिदत्ता सखीइं परिवरी तिहां मत्तवारणई बइठी दीठी । हिवइ रुद्रदत्त रूपिइं व्यामोहिउ हूंतउ ऋषिदत्तानउं ध्यान धाइ । पछइ ए वात कुबेरदत्त मित्र - आगलि कही । तिवा - रई कुबेरदत्त कहइ, 'ए श्रेष्ठ जिनधर्मी टाली अनेरा कहिनइ नापइ ।' तिवारई रुद्रदत्त मिथ्यावी-इ-थिकउ ऋषिदत्तानइ लोभिइ श्रावकनउ धर्म पडिवजिउ । कांई माया लगइ गाढा-इ विवेकीनां चित्त आवर्जीहं । पछद ऋषभसेनइ आपणी पुत्री ऋषिदत्ता रुद्रदत्तनइ दीधी । तिहां पाणिग्रहणमहोत्सव हूउ । केतलाएक मास जउ अतिक्रम्या, तु रुद्रदत्त सुसरानइ पूछी, प्रिया सहित आपणइ नगरि आविउ । तिसिह रुद्रदत्तनउ पिता वधूनइ आगमनि हर्खिउ । पछइ रुद्रदत्ति जिनधर्म छांडिउ । ऋषिदत्ताई पणि भर्तारना संसर्ग लगाइ जिनधर्म छांडिउ । क्रमिदं महेश्वरदत्त पुत्र तीणइ जन्मिउ । सर्व कला क्रमिइ अभ्यसी मोटउ हूउ ।
इसिइ ऋषिदत्तानउ वडउ बांधव सहदेव भार्यां सुंदरी सहित सुखिइ रहइ छइ । एहवइ तिणि सुंदरी अपूर्व सुहणउं दीठडं । तेहनइ योगि आधान घरिवो लागी । क्रमिदं गर्भ वृद्धि पामतह एहवउ डोहलउ ऊपनउ जाणइ जउ, 'नर्मदा नदी - माहि जई स्नान करडं । ए वात भर्तार१. K. छांडी। २. K. परिणावड़ नही । ३. K. जिनधर्म-वासित टाली अनेरानहं न दिइ ।
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