________________
206.26 समेोविकसिष्ट्रणं 208.3 डेरिंदे (!)
208.27 उत्तम - पुरिसाहिय
210.14 सांदण 211.22 परम-भय-भेदेा
212 9
214.1
214.17
पणास संघार
217.7
रदि-संग
217.9
पियंबदाए
217.11 सा ( ? )रूवाणुरूव
218.29 दच्छिभ
नाग - रणो
अक्खनमाणो
221.19 मया एवं भणिदेण
222.11
पांड
222 23
224.2
Notes and Emendations
Jain Education International
छाय(१) -योग
224.27
-- करणिमशि- पत्ता ० 225.9 - कुसुमदामैश्ववेद225.24 कला-महलाओ
226.21 - सा रंभा सुद्धा लाभणा 2.7.1 कणगाव मह(?)
229.8 मपमदा (?)
229.22 विदुख (?) --जननी 231.15 छ- सि 231.27 किंचि
उद्वेग (PSM).
Emend as समेा सकिक तू Compare खेरि खेद, So fre would be equivalent of खेरिद= Sk. उद्वेलित or 'disturbed. Perhaps • आरोहण would proper meaning.
give
Should be something like संपादण. Compare 'भय-भेलइद-दिट्ठी' in Vh.
(PSM)
Emend as णाग-राओ
301
Emend as अक्खिश-मणेो
Emend as घणास-ख धारेण
The reading बद्ध-संग is preferable. The reading पियट्रठदाए is better. सा माणुरूव The emendment is
unnecessary.
सालभ'जिया... महलदा माल किद- सालभजिया-कलिदे [सु] पेच्छामि सुरुदाई [वि] बतायदणाई चंदणाणुलवण - मल्लदा माल किटछत्तय-पयोग = Sk. छत्रक-प्रयोग, a type of dance.
- करणि-पत्ता ०
उपवेद = Sk. उपेत ( PSM )
Instead of second person singular we have here plural. Emend as मया एव भणिदे [ते]]
=?
=1
सा रंभा रंभा (?) त्रियसियसुद्धावले अना, गामई (मई),
१ गामपदी
= Sk. विद्वेष-जननी
Emend as-faa-r
Emend as कम्मि
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org