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में यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि क्षणिकवादी तथा हरिभद्र दोनों को यह मान्यता स्वीकार है कि प्रत्येक वस्तु में प्रतिक्षण किसी-न-किसी नए धर्म का जन्म होता है, लेकिन इस मान्यता को क्षणिकवादी यह कहकर उपस्थित करेगा कि प्रत्येक स्थल पर प्रतिक्षण किसी-न-किसी नई वस्तु का जन्म होता है, जबकि हरिभद्र उसे यह कहकर उपस्थित करेंगे कि प्रत्येक स्थल पर प्रतिक्षण किसी-न-किसी स्थायी वस्तु में किसी-न-किसी नए धर्म का जन्म होता है; साथ ही यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि क्षणिकवादी तथा हरिभद्र दोनों ही वस्तुओं के बीच कार्यकारणसम्बन्ध को एक वास्तविक सम्बन्ध मानते हैं—भले ही इस सम्बन्ध की वास्तविकता सिद्ध करने की उनकी परिपाटियाँ अपनी अपनी हैं और भले ही उन्हें एक-दूसरे की इस परिपाटी की युक्तियुक्तता में गंभीर संदेह है । अपने दूसरे प्रतिद्वन्द्वियों की भाँति क्षणिकवादी को भी हरिभद्र ने एक छूट दी है और वह यह स्वीकार करके कि जगत् की वस्तुओं को सारहीन-अर्थात् मोक्ष-प्राप्ति में अनुपयोगी तथा बाधक-बतलाने के उद्देश्य से उन्हें गौण अर्थ में 'क्षणिक' भी कहा जा सकता है यद्यपि मुख्य अर्थ में कदापि नहीं । स्पष्ट ही हरिभद्र का यह प्रयत्न एक सत्ताशास्त्रीय समस्या का समाधान आचारशास्त्र के क्षेत्र में खोजने का परिणाम है । . ६. योगाचार बौद्ध दार्शनिकों का विज्ञानवाद :
भारतीय दर्शन के इतिहास के जिस युग में कतिपय सम्प्रदायों द्वारा पूर्वोक्त 'तार्किक' साहित्य का प्रणयन किया जा रहा था प्राय: उसी समय किन्हीं दूसरे सम्प्रदायों द्वारा एक ऐसे साहित्य का प्रणयन किया जा रहा था जिसकी मौलिक प्रवृत्ति तार्किक साहित्य की प्रवृत्ति से ठीक उलटी थी और इसी कारण से इस दूसरी कोटि के साहित्य को 'तार्किक-विरोधी' विशेषण देना कदाचित अनुचित न होगा । इस 'तार्किक-विरोधी' साहित्य की मूल मान्यता यह थी कि इन्द्रियप्रत्यक्ष, अनुमान आदि ज्ञान-साधनों की सहायता से जिन वस्तुओं की जानकारी हमें प्राप्त होती है वे वास्तविक नहीं, मिथ्या हैं, जबकि वास्तविक वस्तु-सत्ता एक इन्द्रियातीत भान का विषय है । यह साहित्य भी कतिपय उपभागों में विभक्त था, जिनका परस्पर-भेद मुख्यतः इस प्रश्न को लेकर था कि वास्तविक वस्तु-सत्ता को नाम क्या दिया जाए, जो एक इन्द्रियातीत भान का विषय बनती है । उदाहरण के लिए, योगाचार-बौद्धों द्वारा रचित साहित्य में इस तथाकथित वस्तु-सत्ता को 'विज्ञान' नाम दिया गया, माध्यमिक बौद्धों द्वारा रचित
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